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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२६९

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संवत् १६७३। २५२ गर्क फूल देखकर वादशाह प्रसन्न होगया। अपने रोजनामडे में यह बात लिखे बिना न रहा कि ऐसी शोमाका गांव बाम होता है। २१ (फागुन सुदी ४१५)को बादशाह हासिलपुरसे चलकर दो कूच में बड़े उर्दू (लशकर) से जामिला। सिंहका शिकार । । २२ (फागुन सुदी ६) रविवारको बादशाह लालचेसे कूच करके मांडीगढ़के नीचे एक तालाबके जपर ठहरा। शिकारियों ने आकर तीन कोस पर एक सिंहके होनेको खबर दी। बादशाह लिखता है कि मैं रविवार और गुरुवारको बन्दूँकका शिकार नहीं करता हूं तो भी वह सोचकर कि सिंह हिंसक जन्तुं है मारनाडी चाहिये, उसके ऊपर गया। वह एक वृक्षको छायामें बैठा था। मैंने हाथी पर से उसके अधखुले मुंहको ताककर बन्दूक मारी। गोली उसके मुंहमें लगकर जबड़े और सिरमें बैठ गई और उसका कामं तमाम होगया। जो आदमी साथ थे उन्होने इसबातकी बहुतही खोज की कि गोली काहां लगी। परन्तु कुछ पता न लगा. क्योंकि उसके अङ्ग प्रत्यङ्ग पर कहीं भी गोली लगनेका चिन्ह न धा। तब मैंने कहा कि इसके मुंहमें देखो। मुंह देखा तो गोली मुंहमें लगी थी और उसीसे वह मरा। .... भेड़ियेका पित्ता। इतने में मिरजा रुस्तम एक भेड़ियेको मारकर लाया। बाद- शाह यह देखना चाहता था कि उसका पित्ता भी सिंहकी भांति कलेजेके भितर होता है या बाहर जैसा कि और पशुओंला होता है। देखने से याया गया कि उसका पित्ता भी कलेजेके अन्दरही होता है। ...माडोंगढ़में प्रवेश। २३(फागुन सुदी 9) सोमवारको शुभ घड़ीमें बादशाह मांडोमें [ २२ 1