पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८०

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जहांगीरनामा। ५ खुरदाद (जेठ बदी५) को मिरजाहुसैन, केशवकी जगह गुज- रातका दीवान हुआ। ....... ..... . .. . . नाई गवैया। . . . . . • उस्ताद मुहम्मद नाई गवैयेको सुलतान खुरमने बादशाहके.पास भेजा था बादशाहने कई मजलिसों में उसके बाज सुने। उसने बादशाहके नामकी रागनियां गजल्लमें बनाई थीं। वह भी गाई। १२ (जेठ बदी १३) को बादशाहने उसे रुपयों में तुलवाया। पैंसठसौ रुपये और हौदे सहित हाथी देकर फरमाया कि हाथी. पर बैठकर रुपये दायें बायें रखले और लुटाता हुआ अपने डेरेको चला जा। . . मुल्ला असद कहानी.कहनेवाला। . . मुल्ला असद कहानी कहनेवाला जो मिरजागाजीके नौकरों में से था इन्हीं दिनों में ठढे से बादशाहके पास आया। उसकी मोठी कहानियों और मीठी बातों में बादशाहका मन लग गया। इसलिये उसे महजूजखांका खिताब देकर एक हजार रुपये हाथी घोड़ा पालको और सिरोपाव दिया। कई दिन पीछे उसे रुपयों में तोलकर दो सदी जात और बोस सवारका मनसब भी बखशा और फरमाया, कि हमेशा "गप”को मजलिसमें हाजिर रहा करे । वह तोलमें चार हजार चार, सौ रुपये भरका हुआ। . .. ... . . ___... .महासिंहको मृत्य। . . . . .:: २४ (जेठ.सुदी १०) को खबर पहुंचौ कि राजा मानसिंहका पोता महासिंह जो बड़े अमौरीमसे था बालापुर बराड़में शराब ज्यादा पौनेसे मर गया। उसका बाप भी ३२ वर्षको अवस्था होमें अधिक मद्य पान. करनेसे मरा था। . . . . . : ..: श्रामीको परीक्षा। .:: - . .. ___इन दिनों में बहुतसे आम दक्षिण गुजरात बुरहानपुर और मालवेसे बादशाही मेवेखनिमें आये थे। बादशाह लिखता है- “ये सब देश अच्छे आमों के वास्ते प्रमिद्ध हैं मिठास, बडापनः और रेशा कम निकलने में थोड़े ही स्थानोंके आम इन देशोंके आमीको