पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

संवत् १६७४। तुलना कर सकते हैं। कई बार अंजे अपने सामने यहांके आम सुलवाये तो सवा सवा सेरसे अधिक हुए। पर सच यह है कि रस बाद मिठास और कम गुठियल होने में अपरामऊ जिले आगरेके माम यहांको और हिन्दुस्थानके दूसरे स्थानोंके आमोसे बढ़कर हैं। नादिरो (सदरी)। २८ (जेठ सुदौ १३) को खासको नादिरी जिसके समान जरीको दूसरी नादिरी बादशाही सरकारमें नहीं मिली थी बादशाहने खुरमके वास्ते भेजी और लेजानेवालेको जबानी कहलाया कि इस नादिरी में यह विशेषता है कि मैं दक्षिणदेश जीतनेके विचारमें अजमेरसे कूच करने के दिन इसको पहिने हुए था। इमो दिन बादशाहने अपनी पगड़ी वैसौको वैसी बंधी हुई एत- मादुद्दौलाको पहिनाकर भारी इज्जत दी। तीन पन्ने, एक जड़ाज उर्बसौ और एक अंगूठी याकूती महा- बतखांको भेजी हुई बादशाहको नजर हुई। यह सब माल सात हजार त्पका था। ___ इत्ती दिन वर्षा हुई। मांडोंमें जल कम होजानेमे प्रजा टुःखित यो। बादशाहने ईश्वर से प्रार्थना की। उसकी बापासे इतना जल बरला कि नदी नाले तालाब सब.मर गये । __१ तौर (आषाढ़ बदौ ४) को राणाके भेजे हुए दो घोड़े गुज- रातो कपड़े और कई घड़े अचार तथा सुरब्ब के बादशाहको सेवा में पहुंचे। . . .. ३ (आषाढ़ बदौ ६) को अबदुल्लतोफके पकड़े जानेको खबर आई जो गुजरातके पिछले हाकिमोको सन्तानमेंसे था और वहां सदा उपद्रव करता रहता था। बादशाइने उसके पकड़े जानेसे प्रजाको सुखी होता देखकर परमेश्वरका धन्यवाद करके मुकरबलां को लिखा कि उसको किसी मनसबदारके साथ राजहारमें अजदे। .. मांडीको तलहटीके बहुधा भूपति भेटें लेकर आये। . . [ २३ ]