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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३००

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२८४
जहांगीरनामा।

२८४ जहांगीरनामा। आदिलखांके वकौल। . सोमवारको श्रादिलखांके वकीलोंको जड़ाऊ तुरे दक्षिणी चाल के मिले। एक पांच हजार और दूसरा चार हजारका था। . रामरायांको विक्रमाजीतको पदवी। दक्षिण में अच्छा काम करनेसे. बादशाहने शाहजहांके वकील अफजलखां और रायरायांके मनसब बढ़ाये। रायरायांको विक्र- माजीतको पदवी दी। बादशाह लिखतो है-"हिन्दुओं में यह उत्तम ‘पदवी है और रायरायां अच्छा बन्दा कदर · करनेके योग्य है। .. . . .. . ... __ इसी दिन बादशाह ४॥ कोस चलकर गांव केदहसनमें ठहरा। १५ (कार्तिक सुदी) मङ्गलको बादशाहने ".१२ मनकी एक नौल गाय मारी। दूसरे दिन डेरोंके पास पहाड़को घाटीमें एक नदीः पर जो बीम गजको ऊंचाई से गिरती थी 'जाकर दारू पी और रातको लशकर में आगया। तपुरका जमींदार ।। शाहजहांको प्रार्थनासे जैतपुरके जमींदारके अपराध क्षमा किये गये थे। वह बादशाहको सेवामें उपस्थित हुआ। • हासिलपुरमें जाना। . बादशाह तीन कोस पर हासिलपुरमें शिकारको बहुतायत सुन कर बड़े लशकरको वहीं छोड़कर २० (कार्तिक सुदी १५) उधर गया। काबुलके अंगूर । हुसैनी नासके बिना गुठलीके अंगूर काबुलसे आये । खूब ताजा थ। बादशाह लिखता है कि मेरी जीभ परमेश्वरका गुणानुवाद कर में असमर्थ है कि ३ महीने का रास्ता होने पर भी कावुझके ताजा अंगूर दक्षिणमें पहुंचते हैं। प्याले। २४ (अगहन बदौ ४) बहस्पतिवारको हासिलपुरके तालाब पर •