जहांगीरनामा।
सब घरवाले और नौकर चाकर बड़े बड़े पदों और अधिकारों पर पहुंच गये। उसका बाप एतमादुद्दौला कुल मुखतार और बड़ा भाई अबुलहसन एतकादखांका खिताब पाकर खानसामान हुआ। एतमादुद्दौलाके गुलामों और खाजासराओं तकने खान और 'तर- खान' के खिताब पाये। दिलाराम दाई जिसने बेगमको दूध पिलाया या हाजी कोकाको जगह औरतोंको "सदर" (१) हुई। औरतोंको जो जीविका मिलती थी उसको सनद पर वह अपनी मुहर करती थी जिसको सदरुत्सु दूर (२) भी मंजूर रखता था।
"खुतबा" तो बादशाहके नामकाही पढ़ा जाता था बाकी जो कुछ बादशाहीको बातें थीं वह सब नूरजहां बेगमको हासिल हो गई थीं। वह कुछ अरसे तक झरोकेमें बादशाहको जगह बैठती और सब अमीर उसको सलाम करने आते और उसके हुक्म पर कान लगाये रहते थे। यहां तक कि सिक्का (३) भी उसके नामका चलने लगा था जिसका यह अर्थ था—
जहांगीर बादशाहके हुक्म से और नूरजहां बादशाहके नामसे सोनेने सौ गहने पाये अर्थात् सौगुनी इज्जत पाई।
फरमानोंके ऊपर भी बेगमका तुगरा इस प्रकार होता था—
हुक्म उलियतुल आलिया नूरजहां बेगम बादशाह ।
यहां तक हुआ कि जहांगीर बादशाहका नामही नाम रह गया। वह कहा भी करता था कि मैंने सलतनत नूरजहां बेगमको देदी है। मुझे सिवा एक सेर शराब और आध सेर गोश्तके और कुछ नहीं चाहिये।
बेगमकी खूबी और नेकनामीकी बात क्या लिखी जाय उसमें बुराई थोड़ी और भलाई बहुत थी। जिस किसीका काम अड़ जाता और वह जाकर बेगमसे अर्ज करता तो उसका काम निकाल देती
- (१) दानाध्यक्ष (२) प्रधान दानाध्यक्ष।
- (३) इस सिक्केमें सन् २१ और अलूस हिजरी सन् १०३० हैं।