पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/६८

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जहांगीरनामा।

इन दिनोंमें काई अमीरोंके मनसब बढ़े जिनमें राजा बासूका मनसब अढ़ाई हजारीसे साढ़े तीन हजारी होगया। यह पञ्जाबका पहाड़ी राजा था और लड़कपनसे निरन्तर बादशाहका भक्त रहा था।

कन्धारक हाकिम शाहबेगखांका मनसब बढ़कर पांच हजारी होगया।

रायसिंह पांच हजारी हुआ।

राना सगरको १२००० खर्च के लिये मिले।

गुजरात।

मुजफ्फर गुजरातीको सन्तानमेंसे एक मनुष्य अपनेको अधिकारी समझकर बादशाहके राज्यसिंहासन पर बैठनेके समयसे अहमदाबादक आसपास लूट खसोट करने लगा था। पेम बहादुर उजबक और राय अलीभद्दी जो उस सूबेके वीर पुरुषोंमेंसे थे उससे लड़कर मारे गये थे। इसलिये बादशाहने राजा विक्रमादित्यको कई सरदार और छः सात सौ सजे हुए सवार देकर गुजरातकी सेनाकी सहायताके लिये भेजा और कहा कि जब उस प्रांतमें शांति होजावे तो राजा गुजरातका सूबेदार रहे और कुलीचखां हजूरमें जावे। जब यह सेना वहां पहुंची तो उपद्रवी लोग 'जङ्गलों में आग गये और वह देश निर्विघ्न होगया।

रानाकी हार।

शाहजादे परवेजकी अर्जी पहुँची कि राना थाने मांडलको जो अजमेरसे ३० कोस है छोड़कर भाग गया। बादशाही फौज उसके पीछे गई है।

खुसरोका भागना।

शाहजादा खुसरो जिसे अकबरकी बीमारीके समय कुछ ऐसे अमीरोंने बहका दिया था जिन्होंने कितनीही बार कितनेही अय- राध किये थे और दण्ड से बचना चाहते थे ८वीं जिलहज्ज द्वितीय चैत्र सुदी ९ रविवारकी रातको अपने दादाकी समाधिके दर्शनका