पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(२०)

तंत्रता का भोगी । वहाँ भी प्रजातंत्र स्थापित होने के सौ वर्ष बाद तक गुलामों का व्यापार वाहत । इंगजेंद्र में भी सफर वर्ष के निरंतर पक्ष के पद ही मृत पी की बहन के साथ विवाह करने जैसे नदव काम को करने की अशा मिली थी, हावा मामा और चाचा की सड़को से विवाह कर लिया आता है। साली के साथ विवाह की मनाही के कारण यह था कि वह उर भी कि पत्नी के जीवन-काज में ही कोई माली से मित्र जोय, जिससे घर का सुसा और शति मष्ट होने का ३५ हैं। साली के साथ विवाह करने में समाज में कोई रचना-संबंधी परितवर्तन नहीं होता परंतु दिर समाज में जाति में हर विवाह करने से जाति बंधन नष्ट हो जाता है और समाज की रचना पर ग्राघात पहुँचता है। इतना ही नहीं, वरन् संदिग्ध व ( जाति) की या वहीन ( जाति-पाति से रईस ) सताने उत्पन्न करके, ऐसे समाज में जहाँ भवन नियों में भी रक्त की शुद्धता ४ी मंतिपन का चिह्न समझा जाना है, गर बड़े पैदा हो आती हैं, क्योंकि यह सब कोई जानता है कि हिंदू- समाज में नोच्च जाति के संग भी उस मनु को बिरादरी से बाहर निकाल देते हैं, जिसने अपनी क्षति से बाहर हे अपने से ॐबी अति । साथई। विवाह क्यों ने किया है। वो संताम बड़े अपमान का कारण समझी जाती हैं। अक्षर- -परमेश्वर में मनुष्य को बुद्धि इजिये दी है कि श्रई दूसरों की दशाओं को देखकर उससे अपने लिये शिवा ने । इतिहास इसखिये पढ़ा जाता है, ताकि जो भूलें दूसरे लोगों ने की और हानि उकाई, उन से इम बचे रहें। अग से हाथ जल जाता है, क्या इसको जानने के यि अग में इाथ इन कर देने की जरूरत है ? क्या और और दियों को इतिहास फुट की नियों पर विश्वा। कराने के wिथे पषस मीं । यदि इसी रू करने पर भी अंत में इंग्लैंड में रोमन