पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१११

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( ३ ) अधिक वेतन के अब प य माँगते हो। आप भले चपरासी और बने, के अफसर बने रहेगे । इससे आप संतोष हेगा । । भास भाप अपने लिये पसंद नहीं करते, असे मानने के लिये दूसरों शे वय विसरा ते ६१ १ | भोप–इस बिल का निर्णय सारण लोगों के बहुमत से नही, अनु शास्त्र की जाननेवासे यादे से विद्वान् पंडितों की सम्मति से करना चा९ि ।। | उत्तर-प अभी तो कहते थे कि बहुत थोड़े हिंदू इसके पच में हैं। फिर डर क्यों गए ? | जात असल में यह है कि मानक, गोविंदसिंह, राममोहन राय अर दयानंद जिन भी म;इपुशं ने पहले जाति-fe को आपने का उद्योग किया, उन सब का जन्म ३जातियों में हुआ था । वे जाति-पाँति से पंडित शूद्रों और अछूतों के दुःों का भयो भति अनुभव नहीं कर सकते थे। दूसरे, हिंदू-प्रभुता के युग में दक्षिस भाइयों को चिध्ययन, धनोपार्जन, असम साम•पन और स्वच्छ रहनसहन की आज्ञा न थ । गीतमधर्मसूत्र और मनुश्मन यारि ग्रंथ उनके जिये इन उत्तम बातों की भिषेध ने थे । इस समय वे निबंज, निधन और शान• बहु-विन थे। वे अपने प्रत्याशी रिश के fरु सिर न उठा सकते थे। इसीलिये अति-पाँति न दुर सी। परंतु अब समय बदल का , हिंदु-प्रभुता न हो चुकी है। इस म और ईसाई धर्म ने भारत में अपने अरे जमा दिए हैं। ३ । के सामाजिक अत्याचारां से पीड़ित शुद्ध और अछूतों को लेने के जिथे हर समय है कैसा५ रहते हैं। अब अँगरेर राज्य के प्रसार में मद्रास के अछा ---शुद्र और अछूत -भी लि-दर का पदाधिकारी बन गए हैं। उनके पास न भौर संप भी है। शिक्षा में उनके ज्ञान-चत्र दिए हैं। वे वाभिमाणी माय को