ब्राह्मण, बनियां, अग्रवाल, धोबी, माली, कोली, कुम्हार देख
कर पहचाने जा सकते हैं? अगर पहचाने जा सकें तो बेशक वह
अलग जाति के हो सकेंगे । परन्तु बात ऐसी नहीं है। सौ
आदमियों को एकसी पोशाक पहना कर एक पंक्ति में खड़ा
करो और इन पंडितजी से पूछा कि बताओ ये किस
जाति के मनुष्य हैं ? तो पंडितजी महाराज न बता सकेंगे और
चुप होजावेंगे । फिर एक पंडित को, नहीं एक मूर्ख अनपढ़
को किसी बाग़ में लेजाइये और पूछिये कि बताओ यह किस २
जाति के पेड़ हैं? तो वह देखते ही बता देगा कि यह आम है,
यह जामून है, यह केला है, यद्द अमरूद है। इस प्रकार पशुओं
को देखकर कहेगा कि यह हाथी है, यह घोड़ा है, यह गाय है।
और पक्षियों को भी देख कर बता देगा कि यह तोता है, यह
मैना है, यह कबूतर है और यह मोर है । जबतक मनुष्यों को
देखते ही यह ज्ञान न होजावे कि यह ब्राह्मण है, यह कायस्थ
है, यह सुनार है, मनुष्यों में अलग अलग जातियां बताना घोर
मूर्खता नहीं तो और क्या है ?
पंडित जी महाराज ने अपनी युक्ति की पुष्टि में यह भी कहा है कि हां, मनुष्य भी पहचाना जाता है और प्रमाणस्वरूप सत्यकाम जावालि की कथा को उद्धृत किया कि जब ऋषि के पास बालक सत्यकाम गया तो ऋषि ने ज्ञान लिया कि यह ब्राह्मण है और उसका उपनयन संस्कार किया