पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१४९

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जात-पाँत की एक रोमाञ्च-जनक कथा


में बहुत खर्चा होगा । इसलिये डाक्टर पर हर्जाने की डिगरी दी जावे।" इस मुकद्दमे की जवाबदही के लिये डाक्टर साहिब ने एक अंग्रेज़ बैरिस्टर को मुकर्रर किया । वेङ्कटास्वामी का बयान हुवा । वैरिस्टर साहब ने वेङ्कटास्वामी से नीचे लिखी जिरह की । इन प्रश्नोत्तर को सुनने के लिये पहले कलेजा थाम लीजिये, फिर सुनिये---

प्रश्न-वैल वेङ्कटास्वामी ! तुम्हारे तालाब में यदि कोई ईसाई या मुसलमान स्नान करे या पानी पीलेवे तो तुम्हारा तालाब भ्रष्ट होगा ?

उत्तर-नहीं होगा

प्रश्न--वैल वेङ्कटास्वामी ! यदि तुम्हारे तालाब में कोई कौवा किसी मांस खाने वाले की झूठी हड्डी डाल देवे तो तुम्हारा तालाब भ्रष्ट हो जावेगा ?

उत्तर-नहीं होगा ।

प्रश्न-वैल वेङ्कटास्वामी! यदि तुम्हारे तालाब में कई ग्राम- शूकर पानी पी लेवे तो सालाई अशुद्ध होगा ?

उत्तर-नहीं होगा।