पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१८४

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औरों की बात का अनुमान ‌आप स्वयं कर सकती हैं।

अब छूत-छात को लीजिये । इसमें भी एक प्रदेश का दूसरे प्रदेश से आकाश-पाताल का अन्तर है। पंजाब के ग्रामों में खेती-बाड़ी करने वाले ब्राह्मण और खत्री, अपने साथ काम करने वाले भंगी से छू जाने पर, पानी का केवल एक छींटा अपने कपड़ों पर डाल लेना ही पर्याप्त समझते हैं । परन्तु मद्रास प्रान्त में ऊँची जाति वाले हिन्दू अपने मन्दिर की ओर आने वाली सड़क पर भी अछूतो को चलने नहीं देते, क्योंकि इससे मन्दिर के भ्रष्ट हो जाने का डर रहता है। इसी तरह प्रत्येक प्रदेश के शूद्रों में भी ऊँच-नीच की कसौटी भिन्म भिन्न है।

श्रीमती कूपर - तो क्या रामायण और महाभारत के युग में, जब हिन्दू जाति उन्नति के शिखर पर थी, ब्राह्मणों और क्षत्रियों में जाति के बाहर विवाह होते थे ?

किशोर-जी हां । केवल इतना ही नहीं, वरन् उस समय हमारी जाति के लोग मनुष्य-भक्षी जातियों की भी लड़कियों से विवाह कर सकते थे । न उनकी भ्रष्ट हो जाने का भय था और न नाक कट जाने की आशंका।

श्रीमती कूपर- क्या कहा, मनुष्य-भक्षी जातियों में विवाह ? क्या सच मुम कभी ऐसी बात हुई है ?

किशोर- जी हां, ऐसी घटनाएं हुई हैं, और इनका वर्णन महाभारत में भी मिलता है। अर्जुन का बड़ा भाई भीमसेन अपने समय का महाबली था। उसका विवाह हिडिम्बा मकी एक राक्षस लड़की से हुआ था। उसके पेट से घटोत्कच नामक वीर बालक उत्पन्न हुआ था, जिसने महाभारत-युद्ध में वह वीरता दिखलाई थी कि शत्रु भी वाह वाह कर उठे थे ।