पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१८६

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अतिरिक्त और भी अनेक ब्राह्मण वहाँ आये हुए थे। किन्तु द्रौपदी के पिता या किसी दूसरे राजा ने कभी यह आपति नहीं की कि ब्राह्मण इस स्वयम्वर में क्यों सम्मिलित हो रहे हैं ? ऐसा ही एक और उदाहरण रामायण-काल में मिलता हैं, जब कि सीता जी का स्वयम्वर हुआ था । उसमें अन्यान्य राजाओं के अतिरिक्त राजा रावण भी स्वयम्वर में सम्मिलित हुआ था, जो कि जन्म से ब्राह्मण था । यदि ब्राह्मण से क्षत्रिय लड़की के विवाह की प्रथा न होती, तो उसे क्यों सम्मिलित होने दिया जाता ? अब ब्राह्मण सड़की के साथ क्षत्रिय लड़के के विवाह के उदाहरण सुनिए । राजा प्रियव्रत ( क्षत्रिय ) का विवाह विश्वकर्मा ( ब्राह्मण ) की की वहिष्मती से हुआ था। राजा नीप का शुक्राचार्य (ब्राह्मण) की पुत्री कृत्वी से हुआ था । प्रमत्ता ब्राह्मणी का विवाह एक नाई से हुआ था। उनके पुत्र का नाम महामुनि मतड़्ग था। इससे सिद्ध होता है कि प्राचीन काल में ऐसी विवाह-प्रथा थी । इतना ही नहीं, उस समय तो ब्राह्मण और क्षत्रिय शूदों की बालिकाओं से भी विवाह कर लेते थे। भीष्म पितामह के पिता शन्तनु ने अपना दूसरा विवाह धीवर-कन्या सत्यवती से किया था। कौरव और पाण्डव सब उसी की संतान थे । अब भाप भली भांँती समझ गयी होंगी कि जिस समय इस रोटी-बेटी के सूत्र में बँधे हुए थे तब हम विजयी थे। अब से यह एकता का सूत्र टूटा, तभी से स्थान स्थान पर पराजित होते चले आ रहे हैं ।

श्रीमती कूपर--—तो क्या यहां कोई ऐसा सुधारक उत्पन्न नहीं हुआ। जो जात-पति को तोड़ डालता है?

किशोर--हुआ क्यों नहीं ? कई हुए हैं, जिन्होंने इस पर आघात किया है। किन्तु न जाने यह हत्यारिन किस मिट्टी की