पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१४)


यह बात सत्य नहीं कि पुरातन काल में उच्च जाति की कम्या का विवाह छोटी जाति के हिंदू के साथ नहीं होता था। देखिए, राजा प्रियव्रत क्षत्रिय ने विश्वकर्मा ब्राह्मण की पुत्री बर्हिष्मती से विवाह किया था। राजा नीप क्षत्रिय ने शुक्र ब्राह्मण की कन्या कृत्वी में और राजा ययाति क्षत्रिय ने शुक्रकी पुत्री देवयानी से विवाह किया था। प्रमुत्ता ब्राह्मणी का विवाह नाई के साथ हुआ और महामुनि मातंग की उत्पत्ति हुई। (देखो महाभारत अनुशामन पर्य अध्याय २२)। कर्दम क्षत्रिय की पुत्री अरुंधती और वेश्या-पुत्र वशिष्ठ मुनि का व्याह हुआ। इस सबंध से शक्ति-नामक पुत्र जन्मा शक्ति का विवाह चांडाल कन्या अदृश्यंती में हुआ | इस सबंध से महर्षि पराशर उत्पन्न हुए।

योरपीय समाज में भी हिंदुओं के समान विवाह में उच्च और नीच का कोई बंधन नहीं। दूर क्यों जाते हो, महाराज पंचम जार्ज की पुत्री ने ही किसी राज-कुल के पुरुष से नहीं, वरन् एक सामान्य पुरुष (Commomer) से विवाह किया है क्या पादरी की लड़की से जरनैल का लड़का विवाह नहीं करता? हजरत अली सैयद थे। उनकी पुत्री डम्म कलसूम का विवाह गैर-सैयद हजरत उमर से हुआ था।

हिंदू संस्त्र का आदर्श जाति से बाहर विवाह करने से नहीं गिरता। यदि एक ब्राह्मण का पठित पुत्री का विवाह एक दूसरों को रोटी बनाकर आजीविका करनेवाले ब्राह्मण नासधारा निरक्षर लड़के के साथ हो तब तो, आपकी दृष्टि में सतीत्व और संस्त्र का आदर्श नीचा नहीं होता, पर यदि किसी विद्वान् प्रोफ़सर के माथ, जिसको लोग भुल से नाई या कहार कहते हैं, हो जाय, तो वह आदर्श गिर जाता है। कैसा विलक्ष्ण तर्क है! इस आक्षेप में सिवा झूठे जन्माभिमान के कोई युक्ति और भी है? किसी भी जाति