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पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/२०७

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सुआ खंड

तादिन व्याध भए जिउलेवा। उठे पाँख भा नाँव परेवा॥
भै बियाधि तिसना सँग खाधू। सूझै भुगुति, न सूझ बियाधू॥
हमहिं लोभवै मेला चारा। हमहिं गर्ववै चाहै मारा॥
हम निचिंत वह आव छिपाना। कौन बियाधहिं दोष अपाना॥

सो औगुन कित कीजिए, जिउ दीजै जेहि काज।
अब कहना है किछु नहीं, मस्ट भली पँखिराज॥७॥






जेहि पाहाँ = जिस (ईश्वर) से। गिउ = ग्रीवा, गला। (७) खाधु = खाद्य। लौभवै = लोभही ने। मस्ट = मौन।