पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/४४९

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अखरावट २६७४ आादम हवा कहें सृज़ा, लेइ घाला कबिलास । पुनि हेंवाँ है काढ़ा, नारद के बिसवास ॥ सोरा आादि किए आदेस, सुन्न हि दें अस्थूल भए । ग्रपु करै सब भेसमुहमद चादर ओोट जेकें : ६ ॥ का करतार चहिय श्रेस कीन्हा। ? आापन दोष मान सिर दीन्हा ॥ खाएनि गोटू कुमति भुलाने । परे आइ जग महँपटिताने ॥ छोडि जमाल जलालहि रोवा। कौन ठांव में दैछ बिछोवा ॥ आंधकृप सगर संसारू। कहाँ सो पुरुष, कहाँ मेहगारू ।॥ रैनि "छ मास तैति भरि लाई। रोई रोइ गाँसू नदी बहाई ॥ पुनि माया करता कहें भई । भा निसार, नि हटि गई । सूरज उएकंवल दल ले । दूवौ मिले पंथ कर भूले ॥ तिन्ह संतति उपराजा, भतिहि भाँति कुलीन । हिंदू तुरंत दुवौ भएअपने अपने दीन ॥ सोरठा बुंदहि समुद समानयह अचरज कासों कहीं ? जो हरा सो हेरानमुहमद आपुहि अपु महें ॥ ७ ॥ खा खलार जस है दुइ करा। उहै रूप आादम अवतरा दृह भाँति तस सिरजा काया। भए दुई हाथ, भए दुइ पाया । भए दुइ नयन "नवन दुइ भाँती। आए दुइ अधर, दसन दुइ पांती ।। कबिलास स्वर्ग । बिसवास विश्वासघात से (शैतान के बहकाने से ही श्रादम ने गह खा लिया जिसके खाने या निवेइ ईश्वर ने कर रखा था और स्वर्ग से निकाले गएँ) । अस्थूल = स्थूल । जेऊ = ज्यों, जिस प्रकार । (७) जमाल सौंदर्य और माधुर्य पक्ष । जलाल = शक्ति, प्रताप और ऐश्वर्य पक्ष। दुवों = आदम औौर हौवा। बंदहि समुद समान = एक बूगेंद में समुद्रसमाया हुआा है अर्थात् । मनुष्य पिंड के भीतर ही ब्रह और समस्त ब्रह्मांड है । (अपर कह गए हैं-- ‘युत समुंदा बरसा सह अठारह फंदा')। हेरा = (अपने भीतर ही) g हा। हरान ८ माप लापता गयाअनंत । हो , अर्थात् उसी सत्ता में बह मिल गया। (८) खेलार = खेलाड़ी, ईश्वर। दुड़ कर= दो कलाओं सहित अर्थात् पुरुष Tर उहै रूप‘‘अवतरा = उसी के अनरूप आदम प्रकृति दो पक्षों से युक्त । का अवतार हुआा। यदियों और ईसाइयों की धर्मपुस्तक में लिखा है कि ईश्वर ने प्रार्थीम को अपने अनुरूप रचा) । दुढ़ भ ति -“वाया = यही दो पक्षों की व्यवस्था शरीर की रचना में भी है ।