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पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/७८

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प्राचीनों के अनुसार 'कार्य' महत्वपूर्ण होना चाहिए; नैतिक, सामाजिक या मार्मिक प्रभाव की दृष्टि से 'कार्य' बड़ा होना चाहिए, जैसा 'रामचरित' में रावण का वध है और 'पदमावत' में पद्मिनी का सती होना। आधुनिक पाश्चात्य काव्य-मर्मज्ञ यह आवश्यक नहीं मानते। काउपर, बर्न्स और वर्डस्वर्थ के प्रभाव से अँगरेजी काव्यक्षेत्र में जो विचारविप्लव घटित हुआ उसके अनुसार जिस प्रकार साधारण दीन जीवन के दृश्य काव्य के उपयुक्त विषय हो सकते हैं उसी प्रकार साधारण 'कार्य' भी। इस संबंध में आज से पचहत्तर वर्ष पहले प्रसिद्ध साहित्यमर्मज्ञ मैथ्यू आर्नल्ड ने कहा है—

'मैं यह नहीं कहता कि कवित्वशक्ति का विकास साधारण से साधारण 'कार्य' के वर्णन में नहीं हो सकता या नहीं होता है। पर यह खेद की बात है कि कवि विषय से भी और शक्ति तथा रोचकता प्राप्त करते हुए अपनी प्रभविष्णुता को दूनी न करके विषय को ही अपनी कवित्वशक्ति से जबरदस्ती शक्ति और रोचकता प्रदान कराए'।[]

इस प्रकार आर्नल्ड ने प्राचीन आदर्श का समर्थन किया है। जो हो; जायसी का भी यही आदर्श है। उन्होंने भी अपने काव्य के लिये 'महत्कार्य' चुना है जिसका आयोजन करनेवाली घटनाएँ भी बड़े डीलडौल की हैं—जैसे, बड़े बड़े कुँवरों और सरदारों की तैयारी, राजाओं और बादशाहों की लड़ाई इत्यादि। इसी प्रकार दृश्यवर्णन भी ऐसे ऐसे आते हैं, जैसे, गढ़, वाटिका, राजसभा, राजसी भोज और उत्सव आदि के वर्णन।

संबंधनिर्वाह के अंतर्गत ही गति के विराम का विचार कर लेना चाहिए। यह कहना पड़ता है कि 'पद्मावत' में कथा की गति के बीच बीच में अनावश्यक विराम बहुत से हैं। मार्मिक परिस्थिति के विवरण और चित्रण के लिये घटनावली का जो विराम पहले कह आए हैं वह तो काव्य के लिये अत्यंत आवश्यक विराम है क्योंकि उसी से सारे प्रबंध में रसात्मकता आती है, पर उसके अतिरिक्त केवल पांडित्यप्रदर्शन के लिये, केवल जानकारी प्रकट करने के लिये, केवल अपनी अभिरुचि के अनुसार असंबद्ध प्रसंग छेड़ने के लिये या इसी प्रकार की और बातों के लिये जो विराम होता है वह अनावश्यक होता है। जायसी के कथाप्रवाह में इस प्रकार के अनावश्यक विराम बहुत से हैं। बहुत स्थलों पर तो ऐसा विराम कुछ दिनों से चली हुई उस भद्दी वर्णनपरंपरा का अनुसरण है जिसमें वस्तुओं के बहुत से नाम और भेद गिनाए जाते हैं—जैसे सिंहलद्वीप वर्णन खंड में फलों, फूलों और घोड़ों के नाम, रत्नसेन के विवाह और बादशाह के दावत में पकवानों और व्यंजनों की बड़ी लंबी सूची। कुछ स्थलों पर तो केवल विषयों की जानकारी के लिये ही अनावश्यक


  1. नार डू आइ डिनाइ दैट ए पोएटिक फैकल्टी कैन ऐंड डज मैनिफेस्ट इटसेल्फ इन ट्रीटिंग द मोस्ट टाइपिलग एक्शन, द मोस्ट होपलेस सब्जेक्ट। बट इट इज ए पिटी दैट पावर शुड बी कपेल्ड टु इंपार्ट इंटरेस्ट ऐंड फोर्स, इंस्टेड आव रिसीविंग देम फ्राम इट एंड देयरवाई डब्लिंग इट्स इंप्रेसिबनेस।—

    प्रिफेस टु पोएटिका।