पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/११०

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। अजोयौगिक ज्ञानकोश (अ) अजोयौगिक क्षारीय-यशदके बदले क्षारीय बंगाइत (स्टॅना दिया जाता है:--अमीन अज़ो-बेनजीन (सूत्र इट) का भी लध्वीकरणमें उपयोग करते हैं क ६ उ ५. न २. क ६ उ ४ न उ.२.) वि-अज़ो इसके अतिरिक्त ( Di-azotized ) द्वि-अजोकृत | अमीन-बेनजीनके अणुकी अन्तस्थ रचनासे तय्यार अमीनका संयोग भानल (Phenol)अथवा अमीन होता है। इसके चकत्ते पीले चपटे और सूईके मूलक यौगिकसे करनेसे भी अँजो-यौगिक तय्यार आकारके होते हैं। इसका द्रवणांक १२६ श होता हो जाता है। किन्तु इसका ध्यान रखना आव- है । नत्र-जो बेनजीनका अमोनिया । क्षारिन श्यक है कि इस अमीन अथवा भानलमें का पॅरा- वायु) गन्धकिदके साथ लध्वीकरणसे अजोवेन- स्थान ( Para-position ) बिल्कुल (free) निरि- जोन तय्यार होता है। अमीन-ऑज़ो-बेनजीनका कार होना चाहिये। बंगस हरिद (Stanic Chloride) के साथ लध्वी द्वि-श्रेजोकृत अमीनको तन्मूलक भस्म करणसे उसका रूपान्तर (Aniline ) अनीलिन Base ) तथा उसके उद्धरिद के साथ गरम और ( Mete phenol-di-amin ) मित भानल- करनेसे द्वि-जो अणुओंकी पुनः रचना हो जाती | द्वि-अमिनमें हो जाता है। है और उससे अंजो-यौगिक तय्यार हो जाता है । द्वि-अमीन-अजो-बेनजीन (क ६ उ. ५.न २६ इस प्रकार तय्यार किये हुए अज़ो-यौगिक गहरे क ६ उ.३ (न.उ २)२) के साथ द्वि-अज़ो-बेन- रङ्गके होते हैं। परन्तु उसमें क्षारोद अम्ल अथवा जीन-हरिदकी क्रियासे मित भानलिन-द्वि-अमीन भस्म मिलाये बिना वह रँगने के काम में नहीं श्रा नीचे लिखे अनुसार तय्यार होता है:---- सकता। चेतन ( कार्वनिक ) कारकोंके योगसे | वि-अजो बेनजीन-हरिद मित-भानलिन द्वि-श्रमीन इसका रूपान्तर अंजोक्सीयौगिक (AMOxy क. ६. उ.५ नः न ह+ क ६ उ ४ (न उ २)२ Compound) में हो जाती है। यदि (Reduc- द्वि-शामिन-अजो बेनजीन उद्धराम्न tion Process) लध्वीकरण क्रिया की जाय क६उन:नक.६उ३ (न उ२)२४ उ.ह. तो उसका रूपान्तर हाइड्रो-ऑज़ो अथवा अमीनमें यह पीत वर्णके मणिभ भस्मरूएमें होते हैं। हो जाता है। इसके अन्न द्रवमे रक्त वर्णके होते हैं। इसका अँजो बेनजीनका सूत्र क.६, उ.५, नन, क. उद्धरिद (Hydro Chloridii) का पीला तथा ६, इ.", है । नत्रवेनजीन (Nitro Benzene) की नारङ्गी रङ्ग इत्यादि 'क्रिसोइ डाइन' नामसे बेचा लम्चीकरण कियामें यशद चूर्ण इत्यादिके प्रयोग | जाना है। ऊन अथवा रेशमको पीला रँगने में यह से यह तय्यार हो जाता है। इसकी लम्धीकरण काममै अाता है। क्रियाके लिये क्षारीय-वंग हरिदाका भी प्रयोग त्रि-छामीन-अज़ा-बेनज़ीन (मेटा अमीनवेन- होता है। इसका सिद्धान्त नीचे दिया जाता है- जीन-ॉजो मेटा, फेनेलीन-डाई-अमाइन विस्मार्क- नत्र बेनजीन. अँजोवेनजीन पानी ब्राउन, फेनेलीन-ब्राउन वेसुबाइन, और मनचेस्टर २क,६ऊ,५ नत्र २+४उर-कद,उपनानक६+४उप्र ब्राउन इत्यादि)(न उ२ क ६ उ.४.न. २ क६ श्रेजो बेनजीनका अल्कहलके प्रयोगसे यदि | उ ३. (न उ २) २) से अर्थ है। मित अमीन मणिभ तय्यार किया जाय तो वह नारङ्गी अथवा बेनजीन-अजो-मितमानलीन द्वि० अमिन ये पदार्थ लाल रङ्गके चपटे टुकड़े होंगे। इनका ( Melting | मित-भानिल पर नत्र-अम्न (Vitric Acid) के point) द्रवणांक ६८श और ( Boiling point) ! साथ प्रयोग करनेसे तय्यार होता है । मित-भानि- वथनांक २६३"श होता है। लिन द्वि अमीन उद्धरिदमै सिन्धु नत्रायितका द्रव अमिन-जो-यौगिक यह केसरिया अथवा लाल डालनेसे हलका बादामी रङ्ग तय्यार होता है । वर्णका पदार्थ होता है। बहुधा यह मणिभ जैसे मित-भानिलिन द्वि-अमीन उद्धरिद-मित- (Crystals) रूपमें होते हैं। इनकी लध्वीकरण- | भानलीन (न उ २) क ६.उ ४, न २ ह + न. क्रिया शीघ्र ही की जा सकती है। श्रनिलिन क ६ उ ४ (न उ२)२) उद्धरान ( Aniline ) (77 (Indigo ) saat maart विस्मार्क ब्राउन-(न उ२) क ६ उ ४न: इत्यादि द्वारा तय्यार किया हुआ कार्बनिक न क ६ उ ३ ( न उ २)२+ उ. ह. (चेतन ) पदार्थ है ) के साथ वह पदार्थ यदि द्वि-अमीन अणुमे से एक श्राणु अंजो-संघ हि- गरम किया जाय तो इन्दुलीन 'इन्दुलाइन' | जो हो जाता है और उसीके दूसरे अणुके तय्यार होती है। संसर्गमें आनेसे यह अजो रङ्ग ( Azo-dye) इस वर्गके मुख्य तत्वोंका वर्णन संक्षिप्तमें नीचे | हो जाता है । उज्ज.