। अदिलाबाद ज़िला ज्ञानकोश (अ) १६३ अद्रिका वेदके अन्य स्थानोमें) 'अदितेः पुत्रः' कह कर देखता है । अन्य द्वितीय तथा तृतीय श्रेणीके सूर्यको सम्बोधित किया गया है। वेद पूर्वकालमें मजिस्ट्रेटों का अधिकार रखता है। आजकल यहाँ 'सहसः पुत्रः शक्तिके पुत्र' के अनुसार वरुणादि ! लोकल बोर्ड की स्थापना हुई हैं (इ० ग० ५) देवताओंको स्वातन्त्र्यपुत्र कह कर प्रधानत्व दिया अदिलाबाद ताल्लुका-हैदराबादके इसी गया है । इसके रूपके विषयमै ओल्डनवर्ग, नामके ज़िलेका एक ताल्लुका है। इसका क्षेत्रफल मॅक्समूलर, रॉथ इत्यादि लेखकोंके भिन्न भिन्न मत २२०० वर्गमील है। १६०ई० में यहाँ की जनसंख्या हैं । निघण्टुमें 'अदिति' शब्दसे पृथ्वी, वाणी, गौ, ११२३१४ थी । इस ताल्लुकेमे अदिलाबाद शहर अथवा द्यावापृथ्वी, इत्यादि सूचित होता है। तथा ४२० गांव हैं । अदिलाबाद ही जिले का यॉस्क 'अदिति' को देवोंको बलवान माता कह कर मुख्य स्थान है। ३० गांव जागीरमै दिये हुए है। अन्तरिक्षम स्थान देता है तथा श्रादित्य (सूर्य) १९०१ ई० में यहाँ की आमदनी १३ लाख को स्वर्गलोकमें ले जाकर छोड़ता है। रुपये थी। यहाँ की जमीन ज़्यादातर बंजर है। अदिलाबाद जिला--यह ज़िला हैदराबाद के भावादी भी धनी नहीं हैं ! बारंगढ़ भागके उत्तरमें स्थित है। १९०५ ई० के अदिलाबाद शहर (एदलाबाद)-हैदरा- परिवर्तनके पहले यह सिरपुर तथा ताँदूरके बाद रियासतके इसी नामके जिले तथा ताल्लुके योगसे बना हुआ एक उपभाग था। इसके उत्तरमें का मुख्य यह स्थान है। उत्तर १०.१६४ तथा बहाड़ तथा जिला चान्दा, पूर्वमें बहाड़ जिला पू० रे० ७८३३ पर स्थित है। यहाँकी जनसंख्या नाँ देश तथा वाशिम तथा दक्षिणमे करीमनगर १९२१ ई० में ८२७१ थी। यहाँ प्रथम श्रेणीके तथा निज़ामाबाद जिले हैं। पैन गंगा नदी द्वारा ताल्लुकेदार, पुलिस सुपरिटेण्डेन्ट, चुंगीके इन्स. यह ज़िला बहाड़से विभक्त है। इसी भाँति वर्धा पेक्टर तथा जंगल विभागके दारोगाके अनेक तथा प्राणहिता नदियोंसे यह ज़िला चन्दासे दफ्तर हैं । यहाँ वाखाने, डाकखाना तथा पाठ- अलग होगया है । इसका क्षेत्रफल ७००३ वर्गमील शाला भी है । यहाँ पर हिन्दुओंका एक मन्दिर है है। सहाद्री पर्वत इसमें दक्षिण पश्चिमसे दक्षिण जहाँ पर वार्षिक मेला लगता है। यह एक अनाज पूर्वकी ओर १८५ मील तक फैला हुआ है। इसके की मण्डी है। (इ० ग०५) दक्षिण भाग को गोदवरीसे पानी प्राप्त होता है। अद्धनकी-मद्रास प्रांतके गंटूर जिलेके. दूसरी महत्वपूर्ण नदी पैन गंगा है। यहाँ पर घना ओगोल ताल्लुकेमें यह एक लगर है। प्रोगोल रेलवे जंगल है । इसमें सागवान, भावनूस, श्राम, इमली स्टेशनसे २३ मीलकी दूरी पर यह बसा हुआ है। तथा विजयसाल आदिके बड़े बड़े पेड़ हैं । पहाड़ी यह उ० अ० १५°४६ तथा पू० रे० ७६°५६ पर प्रदेशोंमें शिकार करने योग्य बड़े बड़े जानवर हैं। स्थित हैं। यहाँ १६०१ ई० में ७२५० जनसंख्या शेर, चीता, भालू, लोमड़ी, सियार, जंगली कुत्ता थी। यहाँ पर १४०० ई० में प्रतापरुद्रके पुत्र इत्यादि पाये जाते हैं। मैदानों में नीलगाय, सांभर हरिपालुदुने एक मिट्टीका किला बनाया था। उसके (एक प्रकार का हिरन ) और मेकर (चितकबरा खण्डहर आजभी विद्यमान हिरन) पाये जाते हैं । यहाँकी आबहबा अच्छी नहीं अनाज तथा मवेशियोंका यहाँ एक बड़ा है। सारी रियासत भर में यह सबसे अधिक रोग बाजार लगता है। यहाँ पर नायब तहसीलदार का घर है। मई मासमें यहाँ का तापक्रम १०५ का आफिस है। रहता है । जाड़ेमें यही तापक्रम ५६' हो जाता है। अद्रिका-इस नामकी एक अप्सरा हो गई यहाँ की औसत वर्षा ४१ इश्च है। है। ब्रह्माके श्रापसे मछली होकर यमुना नदीमें सं० १६०१ की जनसंख्याके अनुसार यहाँकी यह रहती थी। राजा बसुके वीर्यसे भरा हुआ श्राबादी ४७७८४८ थी। आजकल इसे जिलेके पात्र लेकर एक श्वेत पक्षी नदीके ऊपरसे जा रहा निम्नलिखित पाठ ताल्लुके किये गये हैं:-सिरपुर था। भाग्यवश वह पात्र उससे छूट कर नदी में राजुर, निरमल, चिन्नुर, अदिलाबाद, लक्षेटिपेट, गिर पड़ा और उसे अद्रिका पी गई। दस महीने किनवट तथा जानगांव । यहाँ पर ८० प्रतिशत पश्चात् उसके गर्भसे एक पुत्र और कन्या उत्पन्न हिन्दू हैं । १० प्रतिशत गोंड़ हैं । यहाँ की माल . हुई । ये दोनों मल्लाहों के हाथ लगे और उन्होंने गुजारी करीब ६० लाख रुपये है। राज्यव्यवस्था उन बच्चोंको उपरिचर राजाको लेजाकर दिया। तीन ताल्लुकेदारोंके हाथमें है। प्रथमश्रेणी का लड़केका नाम मत्स्य तथा कन्याका नाम सत्यवती ताल्लुकेदार दीवानी तथा फौजदारी का काम अथवा मत्स्यगन्धा पड़ा। यह कन्या एक मल्लाह २५
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