पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

था। अनूप शहर ज्ञानकोश (अ) २३५ अनूपवायु इस तहसीलमें चार कस्बे और ३७८ गांव गन्धकिद + उज्जगन्धकिद + ताम्र तानगन्धकिद है। १६०३.४ ई० में यहाँ की जमीनका लगान +अनूप । (क. ग २+२ उ. २ग+ ४ ता २४ ४६8000) और अन्य कर ६००००) था। अपर गैंजेज ता२ ग + क, उ. ४1) कैनाल (Upper Ganges Canal) अनूपशहर कृति नं०२-दो भाग सोडियम असिटेट, दो शाखासे यहाँकी सिंचाई होती है । १६०३-४ ई० में भाग दाहक पालाश अथवा सोडियम और तीन जोती हुई जमीनमें से १५० वर्गमील कछवाड़ी भाग बिना भुजाया हुआ चूना मिलाकर तांबे थी। (इं० गॅ० ५)। अथवा लोहेके पात्रमै गर्म करने से अनूप तय्यार अनूपशहर-संयुक्तप्रांतके बुलन्दशहर जिलेके होता है। उसका सूत्र इस भाँति है-सोडियम अनूपशहर तहसीलकी मुख्य जगह। यह उ० असिटेट + दाहक सोडियम = अनूप + सोडियम अ० २८,२१ और पू० २० ७८१६' में स्थित है। कर्बन । (क. उ.३क.प्र.२लो. + सो. प्रा. = क.उ. जनसंख्या लगभग पाठ हजार है। मुग़ल सम्राट ४+क.प्र.३ सो२) जहाँगीरके समयमें राजा अनूपरायने यह शहर चूना केवल इतने ही के लिये मिलाया जाता बसाया था जो दिल्ली और रुहेलखण्डके रास्ते पर है कि वह पिघलने न पावे। इस भाँति तय्यार है। उस रास्तेमें होने के कारण अट्ठारहवीं शताब्दी | किये हुए अनूपमें उज, दारिन और इथलिनका में इसका बड़ा महत्व था। १७२७ ई. से अंश भी रहता है। १७५६ ई० तक अहमद शाह अब्दाली इस प्रांतमें कृति नं० ३-~शुद्ध अनूप तय्यार करनेके लिये १७६४ई० में जिस दलने मराठोंको मेथिल-अदिद (Methyl Iodide ) पर जस्ते और हराया था उस दलको यहीं व्यवस्थित रूप दिया पानीका प्रयोग करना चाहिये। बहुधा केवल गया था। १७७३ ई० में अवधके वजीर और जस्तेका प्रयोग सफल नहीं होता; अतः तांबे पर अंग्रेज़ोंने रुहेलखण्ड पर चढ़ाई करनेवाले मराठों मढ़े हुए जस्तेको उपयोगमें लाना चाहिये। इसे का सामना किया। उस समय तक बृटिश छावनी यशदताम्रयुग्म (Zinc Copper Couple ) कहते यहीं थी, पर उसके बाद वह मेरठ लायी गयी। है । इसको तापक-फ्लास्कमें डालकर उसमें मेथिल १८६६ ई० में यहाँ म्युनिसिपैलिटी स्थापितकी अदिद और उतना ही अल्कहल मिलाना चाहिये। गई और यहाँकी आय ११०००) और व्यय १५०००) तदनन्तर जल तापसे फ्लास्कको गरम करना पास ही ईस्ट इण्डियन रेलवेका डिवाई चाहिये। इससे धोरे धीरे अनूप वायु तय्यार स्टेशन है जा १४ मीलकी दूरी पर है। यहाँ एक होकर निकलता है। कुछ देर तक पानी पर तहसील, स्कूल और मिशनरी ऐरलो वर्नाक्यूलर रहने देनेसे अदिद और अल्कहलकी भाप पानी में स्कूल है। शहरके लिये यहाँ कपड़े, कम्बल और | विद्रुत होकर प्लास्कमें शुद्ध अनूप रह जाता है। जूते बनते हैं। यहाँ नील का भी एक कारखाना रसायनिक क्रियाका सूत्र निम्न लिखित प्रकारसे । यहाँ पानी लगभग २५ बरसता है। होता है- अनूपवायु-( मार्शगैस-मिथेल Marsh-gas मेथिल + अदिदयशद + पानी - अनूप + यशद Methyi) इसको दलदल वायु, मथिल इत्यादि + अद+उजित (कउ३ द + य उ२ + प्र= कउट भी कहते हैं। दलदलके सड़े हुए पानी तथा + य+द+उप्र) उसी प्रकारके अन्य गन्दे पदार्थोसे इस वायु अनूप कउ४ बिना रंगका गन्धहीन की उत्पत्ति होती है। लकड़ी अथवा अन्य | वायु होता है । इसका वि० ग० ५५ है । यद्यपि ऐन्द्रिक पदार्थों ( Organic) के शुष्क पतनसे इस पर ज्वलन-क्रियाका प्रभाव नहीं होता किन्तु यह वायु तय्यार होता है। कभी कभी मट्टीके हवामें स्वयं ज्वलनीय है। इसकी ज्योति फीकी तेलकी खानोंके पास यह वायु पाया जाता है। | रहती है। पानीमें यह नहीं घुलता किन्तु अल्क- मनुष्यके वायुप्रसरणमें भी इसका अंश रहता है। हलमें घुल जाता है। हबाके १४० गुना भारसे पत्थरके कोयलेके धूर्वमै भी यह बहुत प्रमाणमें "तापमानपर अथवा-१५५ से-१६० तापमान होता है। पर एक गुना भारके नीचे रस रूप होता है। यह कृति न० १-कृत्रिम रूपसे इसको तय्यार करने रस-रूप वायु-१६२ पर उबलताहै और -१६ पर के लिये कर्वद्विगन्धकिद और उज्जगन्धकिदके भाप जमने लगता है। इसका स्थित्यन्तर तापमान का मिश्रण तांबे पर ले जानेसे 'अनूप' तय्यार 88 है। इसमें हवा मिलनेसे भाग लगातेही होता है। उसका सूत्र निम्नलिखित है-कर्बन-द्वि- उड़ने लगता है। यह कायलके खानोमें बरावर