पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२७६

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अन्होनी ज्ञानकोश (अ) २५३ अपकृत्य रही। किसी २ के मतानुसार बाघेलोंने ११६६- इसका विकास अधिक देख पड़ता है। किसी भी १३२२ ई. तक राज्य किया। इसी बीच मूल- कृत्यको 'अपकृत्य के शीर्षकके नीचे आनेके लिये देव, विसलदेव, भीमदेव, अर्जुनदेव, सारंगदेव, केवल यही आवश्यक नहीं है, कि केवल किसी और करण नामके ६ राजा हुए। १२६७ ई. में नियमका उल्लघंन किया गया हो, किन्तु यह भी अलाउद्दीन के सेनापति अलफखाँ ने करण को नितान्त आवश्यक है कि किसी भी व्यक्ति-विशेष पराजित किया, जिस पर वह देवगढ़के राजा को अपनी व्यक्तिगत हानिके लिये न्यायालयके रामदेवकी शरणमें गया। पर दुर्भाग्यने पीछा सम्मुख वादी बनकर आनेका अधिकार भी प्रात न छोड़ा। सुल्तानने उसकी स्त्री देवलरानीको | हो। यदि किसी व्यक्तिकी ऐसी हानि नहीं हुई पकड़ कर हरममें रख लिया और बादमें उसकी है जो उसके व्यक्तित्वसे सम्बन्ध रखती है किन्तु पुत्रीको भी पकड़वा मँगाया और अपने पुत्रका कार्यकर्ता नियमानुसार दण्डभागी हो भी सकता व्याह उससे कर दिया। है तो भी वह 'अपकृत्य नहीं कहलायेगा। बहुधा बाघेलवंशके साथ ही अन्हिलवाड़ राज्य तथा आर्थिक दण्ड से ही अपकृत्य का उचित न्याय नगरका भी नाश हुआ। विग्जने 'गुजराष्ट्र में नहीं होता, अतः समानता व्यवहार विधान लिखा है कि तेरहवीं शताब्दीके अन्तमें अन्हिल- ( Law of Equity ) भी व्यवहारमै लाया जाता वाड़को नष्ट कर अलाउद्दीनने उसके मन्दिरोंको है। विवाह-सम्बन्धी ( Matrimonial courts) मिट्टीमें मिला दिया। शहर पर उसने गदहेका अथवा सामुद्रिक ( Admirality) न्यायालयों के हल घुमाया, तब उसको शान्ति मिली। इसके अतिरिक्त कामन लॉ' न्यायालयोंमें आवश्यकता. पश्चात् अन्हिलवाड़का इतिहास वर्तमान पट्टन नुसार 'अपकृत्य' का दावा किया जा सकता है। नगरका इतिहास है। अतः वह इतिहास पट्टन सभ्य राष्ट्र के प्रत्येक मनुष्यको यह अधिकार नामक शीर्षकके नीचे दिया जाता है । होता है कि वह अपने शरीर, संपत्ति तथा सम्मान [संदर्भग्रन्थ-वाँ. गॅ. हाँ. ७; कुमार पाल चरित, श्राइने की रक्षा करें; उसका यह भी कर्तव्य होता है कि अकबरी तथा अन्य ग्रंथ वह अपने उन कार्योंको अत्यन्त सावधानीसे करे, अन्होनी-यह गाँव हुशंगाबाद जिलेमें है, जिनसे दूसरोंको किसी भी प्रकार की हानि पहुँचने यहाँ पर एक गरम पानीका झरना है। यह को संभावना हो। यदि किसीने जान-बूझ कर झरना महादेव पहाड़के ठीक उत्तरमें है। इस अथवा अनजानमें किसीको हानि पहुँचाई, तो पहाड़से धेनवा तथा नर्मदा नदी अलग अलग उसे न्यायालयमें अपने कार्यके औचित्यका समर्थन होकर बहती हुई गई हैं। इस गरम पानीसे करना पड़ता है और यदि न कर सका तो दंड शरीर परके फोड़े तथा त्वचाके रोग अच्छे होते | भोगना पड़ता है। ऐसे समय यह प्रश्न नहीं है। इसी कारण यहाँ एक मेला लगता है। इस उठता कि उसका अपराध किस नियमके अनु- गाँवके आग्नेय दिशाकी ओर १६ मीलकी दूरी पर सार सिद्ध होता है। अपकृत्य विधानका सबसे एक दूसरा गरम पानीका झरना है। इसका अधिक उपयोग स्वामी ( Employer ) तथा नाम महाल झील है। इसका पानी इतना गरम सेवकों (Employee:) के झगड़ों में हुआ है । है कि इसमें हाथ डालना भी मुश्किल होता है। प्रत्येक स्वामी (Employer ) अपने कर्मचारियों [वॉ० गें०. १८७० पु. ४] के लिये उत्तरदायो होता है। यदि कर्मचारी अपकृत्य-( Tort )-यह कानून शास्त्रका द्वारा किसी व्यक्तिको क्षति पहुँचती है तो उसके एक पारिभाषिक शब्द है। 'अपकृत्य उस कार्य | लिये स्वामी पर दावा किया जा सकता है। परंतु को कह सकते हैं जिसके विरूद्ध सिविल कोर्ट में स्वामी अपने कर्मचारियोंके कार्योंका उत्तरदायी एक व्यक्तिको दूसरे व्यक्तिके विरुद्ध दावा करने उसी समय तक रहता है, जब तक वह उसका, का अधिकार तो हो, किन्तु यह अधिकार किसी उसकी श्राशानुसार कार्य करता है। इससे एक पूर्वकृत इकरारनामे (Centract) के भङ्ग करनेके लाभ यह हुवा है कि अब प्रत्येक व्यक्ति क्षति आधार पर न हो। यह विधान इंगलैण्ड, उसके | पहुँचाने वाले कर्मचारीके स्वामीको प्रतिवादी बना आधीन देशों तथा युनाइटेड स्टेटस् श्राफ अमे- | सकता है, परन्तु यदि एक हो कार्यालयके एक रिका इत्यादि देशोमें पाया जाता है। मुख्यतः | कर्मचारीको दूसरेसे क्षति पहुँचती है तो उसके उन देशों में जहाँ इङ्गलैण्डके कामन लॉ (Common लिये स्वामी उत्तरदायी नहीं होता, यदि वह क्षति Law ) के भित्ति पर विधान रचे गये हैं, वहाँ | किसी ऐसे कारणले नहीं हुई, जिसका सम्बन्ध