पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२७७

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अपकृत्य ज्ञानकोश (अ) २५४ अपकृत्य स्वामी से या। पहले यह नियम दोषपूर्ण था, | उत्तरदायित्व स्वीकार कर लेता है अथवा वह सिद्ध जिसका सुधार १८८० ई० में स्वामीके उत्तर- हो जाता है तो हरजानेके धनका निश्चय करते दायित्वका विधान' (Employer's liability act) | समय उसके भीतरी उद्देश्य पर विचार किया तथा१६६ ई० में 'मजदूरोंको मिलने वाले हर जाता है, यदि अन्तर्गत उद्देश्य दुरा है तो हरजाने- जानेका विधान' (Work-mar's Compensa- | का परिमाण अधिक होता है। ऐसे समय यादी tion act) द्वारा हुआ। इन सव कानूनोंसे ! तथा प्रतिवादीके व्यवहारों पर भी ध्यान रखा कुछ ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है कि वीमे | जाता है। को प्रथाको बाध्य होकर काममें लाना पड़ता है । किन्तु देशके उचित प्रबन्ध तथा न्यायके लिये प्रत्येक मनुष्यको तथा विशेष रूपसे स्वामियों | यह भी अत्यन्त आवश्यक है कि कुछ ऐसे कृत्यों- को, अपना मकान इत्यादि इस दशा रखना | को भी गणना इस श्रेणोमें नहीं करना चाहिये। चाहिये कि जिससे उसका उपयोग करनेवाली, | ऐसे समय जिस स्थिति विशेषमें वे कार्य किया उसमें काम करनेवालों तथा उसके निकटसे जाने गया है उसपर भी ध्यान देना अनिवार्य है। यदि वालोंको कोई हानि न पहुँच सके । स्वामीको प्रतिवादीके विरुद्ध न्याय अधिकारीको कार्यरूपमें अत्यन्त साहसके कार्योकेलिये विशेष रूपसे उत्तर- | परिणित करते समय अथवा उस कार्यके उपयुक्त- दायी होना पड़ता है। सार्वजनिक कार्यकर्ताओं ताके कारण किसीको हानि पहुँचती हो तो चाहे तथा अधिकारियोंको भी अपना उत्तरदायित्व पूर्ण हरजानेकी व्यवस्था हो या न हो, उसका कार्य रूपसे समझ लेना पड़ता है। देशके विधानके प्रतिकूल नहीं समझा जाता। अपकृत्योंके वर्गीकरणमें किसी विशिष्ट तत्वों लेकिन इस विधानके विविध प्रकारके श्रीका द्वारा उसका निश्चय करना सामान्य कार्य नहीं | ज्ञान वकीलोको ही रहता है। सार्वजनिक अधि- है। अतः इसका वर्गीकरण अत्यन्त कठिन कार्य कारोकी रक्षामे बहुत सी कठिनाइयाँ पड़ती हैं । है। यदि हम वादीके दृष्टिकोणसे उसपर विचार यह निश्चय करना कि एक मनुष्यका स्वातंत्र्य, करते हैं, तो प्रतिवादीको भी नहीं भूलना चाहिए | दूसरेके स्वातंत्र्य ले किस भाँति मर्यादित रहे, और प्रतिवादीके दृष्टिकोणसे विचार करते समय अत्यन्त कठिन कार्य है। वादीका भी ध्यान रखना आवश्यक है। यदि व्यापारिक प्रतियोगिताके विषय में, जिसके प्रतिवादीकी ओरसे उसपर विचार कर तो हम कारण कितने व्यापारी डूब जाते हैं, और दूसरे इस सिद्धान्त पर पहुँचते हैं कि प्रत्येक मनुष्य | करोड़ोंके स्वामी हो जाते हैं, संयुक्तराज्य अमे- अपने कार्योंके स्वाभाविक तथा संभवनीय परि- रिका ( United States of America) के सुप्रीम णामका उत्तरदायी है। यदि किसी व्यक्तिको कोर्ट के न्यायाधीश श्री होम्सने कहा है कि प्रत्येक पहिलेसे अपने कार्योंका परिणाम मालुम होता है, व्यक्तिको व्यापारिक प्रतियोगिताका पूण अधिकार तब तो वह और अधिक उत्तरदायी समझा जाता है। ऐसा अधिकार केवल व्यापार संचालनमें ही है। कुछ विशेष प्रकारके व्यवहारोंकी उपयुक्तता नहीं प्राप्त होता, बल्कि यह निश्चय करते समय भी अथवा अनुपयुक्तता पर विचार करनेकेलिये कुछ प्राप्त होता है कि किसके साथ तथा किस परि- विशेष प्रकारके ज्ञानकी आवश्यकता होती है। स्थिति में हमें प्रतियोगिता करनी चाहिये। यदि धोखा देना तथा फुसलाना ऐसे ही व्यवहार होते कोई मनुष्य अपने को सुखी करनेके लिये सर्वसा. हैं। लेकिन यदि मनुष्यके शरीर, सम्मान तथा धारण के अधिकारोंका उपयोग करता है तथा अपने सम्पत्ति पर चोट पहुँचती है तो वहाँ पर विशेष व्यवसाय के संचालनमें उन अधिकारीका प्रयोग प्रकारके ज्ञान तथा आन्तरिक भावके जानने (Mo. | करता है, तो वह न्यायालयके सम्मुख दोषी नहीं tive) की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे अपराध ठहरता। किन्तु स्थावर सम्पत्तिके स्वामियोंको अक्षम्य होते हैं। उसका उद्देश्य (Motive) चाहे कुछ हद तक एक दूसरेके सुभीतेका ध्यान रखना अच्छा हो या बुरा उसपर अपराध आरोपित हो चाहिये। ही जाता है। लेकिन यदि कोई कार्य विधान-विरुद्ध वादोके दृष्टिकोणसे विचार करते समय अप- नहीं है, तोउसके करते समयका उद्देश्य चाहे जैसा कृत्योंका चार प्रकारसे वर्गीकरण किया जा सकता भी क्यों न हो, वह कार्य गैरकानूनी नहीं हो सकता। है । कुछ अपकृत्य व्यक्तिगत होते हैं । इसमें शारी- इस नियमका उपयोग सर्वसाधारणमें विशेष रूपसे रिक चोट, मानहानि, व्यर्थका प्रतिबंध (False होता है। यदि मनुष्य अपने कार्यों के परिणामका | Imprisnrment ), फुसलाकर कुटुम्बके किसी