पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२८५

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हुए कपड़ों अपस्मार ज्ञानकोशे (अ).२६२ अपामिया बचना चाहिये। बहुतसे देशोंमें से ऐसे रोगियों | ही दूर हो जाता है। यदि रोगी बुद्धिमान है तो के रहने का विशेष प्रबन्ध करके उनको बस्ती ही उसको कुछ पहलेसे इसका अनुभव होने लगता अलग बनाई गई है। उनके कार्य, जीवनचर्या है। ऐसी अवस्थामें पहले ही से सावधान हो इत्यादि सब पर ध्यान रक्खा जाता है। उनकी जाने ले अथवा उपाय करने से भी दौरा रुक जाता सुविधाका विशेष ध्यान रखा जाता है। वालक . है। कुछ का मत है कि मानसिक शक्ति द्वारा भी रोगियों पर विशेष ध्यान रक्खा जाता है। दौरा रोका जा सकता है। चित्तको सावधान इस रोगमे औषधिसे अधिक आवश्यक निय- करके यह दृढ़ निश्चय कर के कि दौरा नहीं ही मित रहन सहन हो है। सोडियम ( Scdium) होगा, किसी दूसरे प्रसन्न होने वाले विचागेको पोटेशियम(Potessium)स्ट्रानशियम (Strontium) हृदय में स्थान दे। अमोनिया अथवा वाइट्राइड अमोनियम ( Armonium) इत्यादि औषधियाँ आफ श्रामिल सू घनेसे भी बहुधा दौरा रुक जाता इसके लिये विशेष हितकारी हैं। अनेक रोगियों- है अथवा उसका वेग कम हो जाता है। जिल स्थान को इससे लाभ होते देखा गया है। पोटेशियम पर भी दौरा हुआ हो, वहाँ से दौरेकी अवस्थामें ब्रोमाइड २०-३० ग्रेन तक पानीमें घोलकर देना : रोगीको हटाना नहीं चाहिये, किन्तु अग्नि अथवा चोहिये। कुछका मत है कि उपरोक्त तीनों ओष- जलका भी ध्यान रखना चाहिये। आरामसे रोगी- धियोंको मिश्रित करके सोडियम, पोटेशियम को लेटा देना चाहिये। शरीरके कसे तथा मोनियम-३० ग्रेन देनेले अधिक लाभ | को ढीला कर देना चाहिये। इस बात का ध्यान होता है। महीनों अथवा वर्षों तक दवाई का रखना चाहिये कि रोगी कोई शारीरिक चोट अप- प्रयोग करते रहना पड़ता है। निरन्तर सेवनसे | नेको न पहुँचा सके। यदि रोगीसे भय हो कि दौरोंका अन्तर कम होने लगता है। दौरेका वेग अपनी जीभ काट लेगा तो उसके जबड़ों के बीच भी कम होने लगता है और रहता भी कम देर तक एक काग या लकड़ीका टुकड़ा लगा देना चाहिये। है। यदि कुछ दिन औषधोपसेवनसे दौरे बन्द रोगीके मुंहपर पानी के छींटे देना चाहिये, सिर होते हुए मालूम भी पड़े तो भी बन्द होने के बाद पर हवा करते रहना चाहिये और कोई तीन उत्तम कमसे कम दो साल तक निरन्तर इसका सेवन सुगन्धि व्यवहारमें लाना चाहिये। महापस्मारमें करते रहना चाहिये। यदि ब्रोमाइउ अधिक ब्रोमाइड' साल्ट की मात्रा बढ़ा देनी चाहिये, और दिया जाता है तो सुस्ती अधिक होती है, ऐसी आवश्यकतानुसार १६ ग्रेन तक उसमें क्लोरल अवस्थामें इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिये । मिला देना चाहिये। यदि आवश्यकता हो तो यदि रोगीको इससे अन्य कोई हानि देख पड़े तो | मार्फिया या क्लोरोफार्मकी पिचकारी भी दी जा बीच वीचमै इसको मात्रा बन्द कर देनी चाहिये। सकतो है। ब्रोमाइडके दोषको मारनेके लिये ग्लिसरो फासफेट अपामिया-इस नामके अनेक शहर हैं। २०-३० ग्रेन तक मिलाकर देना चाहिये । कुचलेका (१)ोरोन्टेस नदीके किनारे यह बसा हुआ सत ( Iodide) भी बहुत मात्रामें दिया जा था। सिल्यूकिडी बंशीय राजाओं का खजाना यहां जा सकता है। इसको पानीमें भलीभांति घोल | रहता था। सेल्युकस नेक्टरकी स्त्री अगमाके लेना चाहिये। इसमें एक प्रकारका विष होता है। नामपर यह नगर बसाया गया था। सातवों और यह बड़ी तीब्र औषधि है। अतः इसमें , शताब्दीमें बादशाह खुसरूने इस नगर का नाश ३ बूंद लायकर आरसनिक ( Liquor Arsenic) | कर डाला था। इसके बाद अरवोंने इसे फिरसे (सोमलविष ) मिला देना चाहिये। नमक न बसा कर इसका नाम फामिया रक्खा। इस नगर खानेसे औषधिका गुण अधिक होता है। बीच- | का महत्व ईसाईयोंके धर्मयुद्ध तक देख पड़ता है। बोचमें आवश्यकतानुसार ब्रोमाइडके साथ अन्य (२)मोजिया का एक नगर । अटायोकसने औषधियां मिलाकर देनी चाहिये। वेलाडोना, अपनी माता अपामाके नामपर इस नगरको स्था- जिंकसल्फेट, अक्साइड कैलशियम, ब्लैसिटेट, | पना की थी। सिल्यूकिडी सत्ता, ग्रीकोरोमन तथा एन्टीपायरीन इत्यादि औषधियाँ भी लाभदायक | ग्रीक्रोहीव्र संस्कृति तथा व्यापारका यह मुख्य केन्द्र होती हैं। था। अॅटायोकसके पश्चात् यह परगामेनियन राज्य दौरेको अवस्थाके प्रयोग-यदि दौरेमें हाथ पैर के अन्तर्गत श्रागया था। इसके बाद यह रोम सुन्न पड़ने लगते हो तो हाथ पैर मलना चाहिये। तथा मिथ्रीडेटिसके अधिकारमें था। तीसरी इससे अक्सर दौरा रुक जाता है अथवा जल्दी । शताब्दीसे इसका पतन श्रारम्भ हो गया था।