पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३२

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--- - ! अकोला ज्ञानकोश (अ) २२ अकाला इत्यादि जानवर पाये जाते हैं। यहाँ स्खूब गरमी में जिले भरके बगीचोंका क्षेत्रफल मिर्फ २१ वर्ग पड़ती है, किन्तु मेलघाटके नरनाला किले पर मील था। जमीन उपजाऊ होने के कारण इस गर्मी कुछ कम रहती है। वर्षा लगभग ३४ इञ्च जिलेमें अधिक जंगल नहीं है। जहां कहीं साधा- होती है। जब कभी पानी कम बरसता है तब रणजंगल है वहाँसलई, बैर सागवान, और 'वर पशुओंकी दशा शोचनीय हो जाती है और बहुत प्रादिक पेड़ पाये जाये है । यहाँका मुख्य व्यापार से कालके ग्रास बन जाते हैं। कपासका बाहर भेजना है। इस जिलम जी श्राई० अकोला कभी स्वतन्त्र राज्य नहीं था, इसलिये ; पी० और सी० पी० रेलवे हैं उसका स्वतंत्र इतिहास नहीं है। इस भागमें अकाल-नहगकी व्यवस्था न होनेके कारण खढगाँव और बालापुरकी लड़ाइयाँ तथा नरनाला कृषकों को बरसातक पानी पर ही निर्भर रहना किलेके घेरे प्रसिद्ध है। अकबर के समयमें यह जिला पड़ता है । वर्षा न होनेसे अकाल पड़नेकी सम्मा- नरनाला सरकारके अन्तर्गत एक परगना था। वना सदा बनी रहती है । १८६२, १८१६-१७ और १८५३ ई० तक ( जिस साल निजामने बगर १८४8-१६०% के अकालमें लोगों को भयानक कष्टों को अंग्रेजोंके हाथ सौंप दिया) निजामकी कर का सामना करना पड़ा था। ई. में वसूलीकी प्रथासे बहुतसे बखेड़े हुआ करते थे। ६८ अकाल पीडिन मनुष्यों को काम दिया १-४१ ई० में जामोद के तट पर मुगलरावने गया और २२६४२ लोगोंको कर्ज दिया गया था। भोसलेको झंडा इस पर फहरा दिया । १८४७ ई० अनुमान है उस साल जिलक लगभग आधे पशु में अकोलामें कुछ धार्मिक बातों को लेकर झगड़ा मृत्युके मुखमैं चले गये । खड़ा हो गया; पर इलिचपुरके ब्रिटिश कर्मचारियों शासन----अन्यान्य जिलों की तरह। ने उसे शान्त कर दिया। १८४४ ई० में श्रप्पा १६०३-४ ई० में मालगुजारी से २२५४०४० साहब विद्रोही हो गये; मगर ब्रिटिश सरकारने ' और कुल श्राय ३१३६०७० रु० हुई थी। सेना द्वारा उनका दमन किया। मुगलौके शासन शिक्षाका प्रमाण फी सदी ५.२ । १६०५ ई० में अथवा उसके पहले यह जिला या परगना में बगरके छ जिलोंके रकबोंमें रहोयदल किया कितना लम्बा चौड़ा था यह नहीं कहा जा गया। उस समय अमरावती जिलेका मुर्तजापूर सकता। शक १६८५ ( सन् १७३४) के एक पत्र ताल्लुका, वाशिम और मंगाल पहलके वाशिम में मौजे धामणगांव, परगना अकोलासे १५० जिलेके ताल्लुके अकोला जिले में मिलाये गये । बैलो पर ३०० मन गल्ला लादकर पूना भेजे जाने वाशिम जिला तोड़ दिया गया। अकोला जिलेके का और उस पर चुङ्गी न लेनेका उल्लेख है। खानगांव और जलगांव ताल्लुके बुलडानामें मिला (राजवाड़े खं० १०-१६-८ ) दिये गये। अकोला (आधुनिक) जिलेका क्षेत्र बरार अंग्रेजोंके अधिकारमें आतेही उसके फल ४१११ वर्गमील और जनसंख्या ७६५४४ (पूर्व बरार और पश्चिम वरार) दो भाग किये । (१९२१ की मर्दुमशुमारी ) है। गए। १८६७ ई० से १-७२ तक अकोला पश्चिम । अकोला ताल्लुका--जिला अकोला) उ०प्र० बरारका मुख्य स्थान था। २०५३ से२० २३ श्रीर पु० ० ७७ २५ से ७६ ५४ प्राचीन प्रेक्षणीय स्थान-नर्नाला और बालापूर तक । उत्तर-दक्षिण लम्याई ३, मील. पूर्व-पश्चिम के किले, बालापूरकी छत्री और पातुर पहाड़के चौड़ाई लगभग २॥ मील । क्षेत्रफल ३६ वर्ग मील दो बौद्ध विहार देखने योग्य स्थान हैं। इस जिले है। इस तालुकेमें कुल ३४८ गांव हैं, जिनमें १६ के गांवों और देहातोंकी संख्या ६७६ है। जन- । गांव जागीरो हैं। इसके पश्चिममें बालापुर ताल्लुका संख्या करीब सात लाख श्रद्धानबे हजार है । पूर्वमें मुर्तजापूर ताल्लुका उत्तरमै पूर्णा नदी, इस जिलेमें पांच ताल्लुके थे। उनके नाम-- | अकोट और दरियापूर ताल्लुका, दक्षिणमे मंगरूल अकोला, अकोट, बालापूर, खानगांव और जल-! और वासिम ताल्लुके हैं। यह ताल्लुका जिलेके गांव । मुख्य गांव-अकोला, खानगांव, अकोट मध्यभाग में है। इसकी जमीन उपजाऊ और और शेगांव। इस जिलेकी जमीन काली और | चौरस है। केवल दक्खिनी हिस्सा पहाड़ी उपजाऊ है । ४२ जागीरी गांवों को छोड़कर है। इस ताल्लुकेकी नदियाँ और नाले दक्षिणसे समूचे जिलेमे रैयतवारी बन्दोबस्त है। मुख्य उत्तरकी ओर बहते हैं। यहां प्रति गांव पीछे प्रायः पैदावार ज्वार और कपास है। यहाँ उच्च श्रेणीके ग्यारह कुएँ हैं, फिर भी इस ताल्लुकमै खास कर घोड़े और भेड़ नहीं पाये जाते। १६०३-४ ई० | उस हिस्सेम-जहाँका पानी खारा है पानीकी कमी 1