पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१०५

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पीत हुए बाबू गोपीनाथ से मुलाकात हो गई। बम, उस दिन स इनके साथ चिपटा हुआ है। हर रोज केवन ए का डिब्बा और खाना पीना मुकरर है।' यह सुनकर गुलाम अली भी मुस्कराता रहा । गोल चेहर वाली एक सुख सफेद स्वस्थ औरत थी। कमर मे दाखिल होते ही मैं समझ गया था कि यह वही कश्मीर की क्वतरी है जिसके बारे मे सैण्डो न दफ्तर म जिक्र किया था। बहुत साफ सुथरी प्ररित यो । बाल छोटे थे। ऐसा लगता था कटे हुए है मगर असल मे ऐसा नहीं था । आखें शफ्फाफ और चमकीली थी। हर-मोहरे से प्रकट हाता या कि वडी अल्ह्ट और नातजुर्वेकार है । सैण्डो ने उसस मिलाते हुए कहा, 'जीनत वेगम । बा साहब इमे प्यार स जेनो कहत हैं । एक बडी खुराट नायिका, कश्मीर से यह सेब तोडवर नाहौर ले आई। बावू मापीनाथ को अपनी सी० आई० डी० से पता चला और एक रात ले उडे । मुक्दमबाजी हुई करीव दा महीन तक पुलिस एश करती रही आखिर बाबू साहब ने मुकदमा जीत लिया और इमे यहा ले आए-धडन तरना।" अव गहरे सावले रग की प्रोरत बाकी रह गई थी जो खामोश बैठी सिगरेट पी रही थी। पाखें सुख थी, जिनसे काफी वहयाई टपक रही थी। बाबू गोपीनाथ न उसकी तरफ इशारा किया और सैण्डो स कहा इमक वारे में भी कुछ हो जाए।' सैण्डो ने उम औरत की रान पर हाथ मारा और पहा, जनाव । यह है तीन पटूटी फिल फिल फूटी, मिसज अदुग्हीम सैण्डा उफ सरदार बेगम । पाप भी लाहौर की पैदावार है । सन छत्तीस म मुभमे इव हुना दो बरम मे ही मेरा धडन-तस्ता करके रख दिया। मैं लाहौर छोडकर भागा । बापू गोपीनाथ ने इमे यहा बुनवा लिया ताकि मेरा दिल लगा रह । इसको भी एक दिवा केवन ए का राशन मिलता है । हर रोज गाम को ढाईम्पय का मारपिया का इजेक्शन लेती है। रग वाला है मगर वैम बडी टिट पार टैट किस्म की औरत है।' सरदार ने एक अदा स मिफ इतना पहा, 'बवास न कर। इस प्रदा मे पेशेवर औरतो की बनावट थी। 106/टोगा टेवसिंह