पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१२४

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हैसियत किस तरह की होगी, यूरोपियन वाड रहगायाउडा दिया जाएगा? ब्रेकफास्ट मिला करेगा या नहीं ? क्या उह डवलरोटी के बजाय नडी इण्डियन चपाती तो जहर मार नहीं करनी पडेगी? एक सिख था जिसको पागलखान मे दाग्विल हुए पदह माल हो चुके थे। हर समय उसके मुह म य विचित्र शब्द सुनो म पात थे, 'यो पड दी गिडगिड दी ऐक्म दी वेध्याना दी, मूग दी दाल भाव दी लालटेन ।' यह दिन को सोता था न रात को। पहरदारा का कहना था विपद्रह वप के इस लम्बे ममय मे वह एक क्षण के लिए भी न मोया था । लेटना भी नहीं था। हा, कभी कभी दीवार के साथ टक लगा लेता था। हर समय वडे रहने म उसके पाव सूज गए थे। पिण्डलिया भी फूल गई थी। लेकिन उस शारीरिक कष्ट वे गावजूद वह लेटवर माराम नहीं करता था। हि दु- स्तान, पाकिस्तान और पागलो की अदला बदली के बारे म जब कभी पागलसाने में बातचीत होती थी तो वह बडे घ्यान स सुनता था। कोई उसस पूछता कि उसका क्या सयाल है ता वह बडी गम्भीरता से जवाब दता 'प्रो पड दी गिडगिड दी, ऐक्स दो वेध्याना दी, मूग दी दाल भाव दी पाकिस्तान गवनमेण्ट । लकिन बाद म 'नाव दीपाकिस्तान गवनमेण्ट' की जगह प्रावदी टावा टयसिंह, न ले ली और उसन दूसर पागला स पूछना शुरू किया कि टोवा टेवसिंह, रहा है, जहा का वह रहन वाला है ? लेकिन विसीको भी मालूम नही था कि वह पाकिस्तान म है या हि दुम्नान म । जो बतान की कोशिश करत थ खुद इम चक्कर मे फस जात रे कि स्थालकोट पहन हि दुम्नान महा था, पर अब सुना है कि पाक्स्तिान में है। क्या पता है कि लाहौर जो अब पाकिस्तान में है पल हिंदुस्तान म चला जाए या सारा हि दु- स्तान ही पाकिस्तान वन जाए। और यह भी कोन छाती पर हाथ रखकर कह सकता था कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनो किसी दिन मिर स ही गायब न हो जाएगे। इस सिख पागल क के झरते रहन पर अब बहुत थोडे से रह गए 'थे। चूकि वह बहुत कम नहाता था इसलिए दाढी और सिर के बाल प्रापस मे जम गए थे, जिसके कारण उमको शाल वडी भयानक हो गई थी। टोबा टकसिह / 1