पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१७३

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ने उसका डाटना चाहा तो चडढे ने रोक दिया, 'एक तो वोतल टूटी है मम्मी, जाने दो, यहा दिल टूटे हुए हैं।' महफिन एक्दम सूनी हो गई, लेकिन तुरत हो चडढे न उस उदा सीनता को अपने पहकहो म छिन भिन कर दिया । Tई बोतल पाई। हर गिलास में बडा तगडा पंग डाला गया। इसके बाद चडढ़े ने उखडा उखडा-सा भाषण करना शुरू किया, 'लेडोज एण्ड जेपटलमैन आप सब जह नुम मे जाए मण्टो हमारे बीच मौजूद है, जो अपने पापको बहुत वडा कहानीकार समझता है। माय स्वभाव की, वह क्या कहते हैं, गहरी से गहरी गहराइया में उतर जाता है मगर मैं कहता हूँ कि वकवास है कुए मे उतरने वाले कुए म उतरने वाले उसने इधर उधर देखा 'अफसोस है कि यहा कोई हि दुम्तुड नही, एक हैदराबादी है जो का को गा रहता है और जिससे दस बरस पीछे मुलाकात हुई तो क्हेगा कि परसो पापम मिला था--लानत हो उसके निजाम हैदरावाद पर, जिसके पास कई लाख टन सोना है, क्गेडा जवाहरात हैं लेकिन एक मम्मी नही हा वह कुए म उतरन वाले मैंन क्या कहा था कि सब चकवास है ? पजाबी मे जिहे टोवे कहते हैं वे गोता लगाने वाले, वे इसके मुकाबले में मानव-स्वभाव को कई दर्जे अच्छा समझते हैं । इस- लिए मैं कहता है सबने जिन्दाबाद का नारा लगाया । चडढा चिरलाया, यह सव साजिश है-इस मण्टो की साजिश है नहीं तो मैंने हर हिटलर की तरह मुर्दाबाद के नारे का इशारा किया था तुम सब मुर्दावाद लेकिन पहले मैं मैं ।' वह जज्वाती हो गया । "मैं जिसन उस रात उम साप के खपरों ऐमे रग वाले वाला की एक लड़की के लिए अपनी मम्मी को नाराज कर दिया था। मैं खुद को-न जाने पहा का डान जुमान सम- झता था लक्नि नहीं, उसको पाना कोई मुश्किल काम नहीं था । मुझे अपनी जवानी को कसम, एक ही चुम्बन में उस प्लंटीनम ब्लौण्ड के क्वारेपन का सारा रस में अपने इन मोटे मोटे होठो से चूस मकता था लेकिन यह एक अनुचित काम था वह कम उम्र थी। इतनी कम उम्र, इतनी कमजोर, इतनी रेक्टरलेस इतनी 'उसन मेरी ओर एक 170/टोबा टेकसिंह