सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लगा । वह खुली हवा में सोने का आदी था , पर अब उमको बिलकुल उलटी भादत डालनी थी । यही वजह थी कि शादी स चार दिन पहले ही उसन यो सोना शुरु कर दिया था । पहली रात जब वह लेटर और उसन अपनी बीवी के बारे में सोचा तो यह पमीने स तरबतर हो गया । उसके काना मे वे आवाजें गजन लगी, जो उसे सोन नही देती था और उसके दिमाग में तरह तरह के परेशान समाल दौडाती थी ।

क्या हम भी ऐसी ही आवाजें पैदा करेंग ? क्या प्रासपास के लोग हमारी आवाजें भी सुनेंग ? क्या वे मेरी तरह, गते जाग जागकर का ? किसीने अगर झाक्कर देख लिया तो क्या होगा ?

भोलू पहले स भी ज्यादा परेशान हो गया । हर वक्ष उमको यही बात सताती रहती कि टाट का पर्दा भी कोई पर्दा है । फिर चारो तरफ लोग निखर पडे हैं । रात के म नाटे मे हल्की - मी कानाफूसी भी दूसरे शाना त पहुच जाती है । लोग इस यह नगी जिदगी जीने हैं ? एक कोठा है, इस चारपाई पर बीवी लेटी है, उस चारपाई पर शोहर पड़ा है । सकडा आसं कान भासपास पुले हैं । नजर न माने पर भी प्रादमी सबकुछ देख लेना । हलको सीमाहट पूरी तसवीर बनकर सामन मा जाती है यह टाट का पर्दा क्या है ? सूरज निकलता है तो उसकी रोशनी सारी वीजा पर स पर्दा हटा देती है । वह सामन मल्लन अपनी बीवी की छातियाँ दबा रहा है । वह कोने में उसका भाई गामा लेटा है । तहमद खुलकर एक पार जा पडा है । उधर दू हलवाई की कुमारी बेटी मादा का पेट छिदरे टाट से मार मारदेख रहा है ।

शादी का दिन प्राया तो भोलू का जो चाहा, वह कही भाग जाए । पर वहा जाता ? अव तो वह जा जा चुका था । गायव हो जाता तो समद जरूर सुदवशी कर लेता । उसकी लडकी पर जान क्या बीतती । जो तूफान मचता, वह अलग । ____ अच्छा जो होता है होने दो - ~ मेरे मोर सायी भीती हैं । धीरे धीरे मादत हो जाएगी मुझे भीमोल ने अपने प्रापको ढाढम लिया और नई-नवली दुलहन की डोली पर ले आया ।

क्वाटरो म वहन-पहल पैदा हो गई । लोगो न भालू और गामा को 178 / टोरा टेकमिह