सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चारपाई पडी थी , उसपर बैठ गया । भीतर से उसकी भाभी की आवाज सुनाई दी । वह गामा से बह रही थी, तुम जो बहते हो ना कि भोलू को आयशा पसद नहीं प्राई यह गलत है ।

गमा की अावाज आई, तो और क्या बात है ? भोल को उससे कोई दिलचम्पी ही नहीं ।

दिलचम्पी क्या हो ?" क्यो ?

गामा की बीवी ने इसका जा जवाब दिया , मोल न सुन सका , लकिन इसके बावजूद उममा ऐसा लगा, मानो उसकी सारी हस्ता विसीन अोखली म डालकर कूट दी हो ।

गामा एक मजार से बोला, नहीं, नही यह तुमसे क्सिन कहा ?

गामा की बीवी बोगी पाया ने अपनी किसी सहली से कहा वात उडत -उडते मुझ तक पहुच गई ।

बड दुख भरे स्वर मे गामा ने कहा, यह तो बहुत दुरा हुमा "

भोल के दिल में छुरी- सी उतर गई । उसका दिमागी सतुलन बिगड़ गया । वह उठा और कोठे पर चढरर जितने टाट लगे थे, उह उसन उसाइना शुरू कर दिया । खट - खट पट फट सुनकर लोग ऊपर जमा हो गए । उहान उसका रोक्ने की कोशिदा की तो वह लड़ने लगा । बात पर गई । कल्लन ने वाम उठाकर उसके सिर पर दे मारा । भानू चक्र गिरा और बहाश हो गया । जब उसे होश ग्राया, तो उसका दिमाग चल चुका था ।

अब वह बिलकुल नग घडग बाजारा मे घूमता फिरता है । पही टाट देवता है तो उसको उतारकर टुकडे टुकडे कर देता है ।