पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१९०

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कुछ करने पाए वह सुश पुश चला जाएगा और तुम भी बची रहोगी ऐमे मद जो गुपचुप रहत हैं , बड़े खतरनाद होत है वहन , हडडी पसली तोड देत है , अगर उनका दाव चल जाए ।

सुग थी उतनी चालाक नहीं थी , जितनी वह खुद को जाहिर करती थी । उसके गाहक बहुत कम थ । वह एक बहुत ही भावुक लइली थी । यही वजह ह कि वे सार गुर, जो उस याद थे, उमदे दिमाग से फिमलकर अस पट में आ जात थे जिमपर एक बच्चा हो जान के कारण पई लकीरें पर गई थी । इन लकीरा का पहली बार देखकर उस एसा लगा था कि उसके साज मारे कुत्ते ने अपने पजे स य निशान बना लिए हैं । जव कोई कुतिया बडी उपक्षा से उमरे पालतू कुत्ते के पाम म गुजर जाती थी तो वह शर्मिदगी दूर करन के लिए जमीन पर गपन पजो से इसी तरह के निशान बनाया करता था । ____ मुगधी दिमाग में ज्यादा रहती थी , लेकिन जैम ही काई नम -नाजुक बात, कोई कोमल बोल उसस कहला, वह भट पिघलकर अपन गरीर के टूमर हिस्सा मै फन जाती । हालाकि उसका दिमाग मद भारत के गारी रिक सम्बध का एक्दग यार की चीज समझता था , पर उस गरीर के बाकी प्रग सबवे मर इमरे बुरी तरह कायल थे । व थक्न चाहत थ एमी थक्न, जो उह भवभोरकर, उह मारवर, सोन पर मजबूर र दे । ऐमी नीद जो थावर चूर- चर हो याद मा क्तिनी मजेदार होती है यह बेहोगी, जो मार खार, जोड जोड ढीले हो जान पर

छा जाती है । क्तिना मानद देती है । कभी एमा लगता है कि तुम हो , कभी एसा लगता है कि तुम नहीं हो और इस होन प्रौर न होन के बीच केनी कभी ऐमा महमूस होता है कि तुम हवा में बहुत ऊची जगह लटरे हुए हो । ऊपर हवा, नीच हवा , दायें हवा पायें हवा -- बम, हवा हो हमा । और फिर उस हवा म दम घुटना भी एक सास मजा देता है ।

बचपन मे , जब वह भात मिचौली सेला परती थी और अपनी मा या बडा रा दूब सोलकर उसमे छिप जाया करती थी तो नाकाफी हया में दम घुटने के साथ साथ पकडे जाने के डर म वह तेज धडकन, जो उसके दिल म पैदा हो जाया करती थी ,कितना मजा दिया परती थी ।

हना | 187