पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१९६

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माढे सान स्पय पा सौदा था । मुगधी उस हालत म, जवमि उमके सिर में देहिमाव रद हो रहा था कभी स्वीकार न परती लगिन उग रपया की सरून जहरत थी । उमये गाय वाली सोली म एक मद्रामी पौरत रहती थी ,जिसका पति मोटर पनी प्रापर मर गया था । उस औरत को अपनी जवान लडपी ये माथ प्रपन घर जाना था , लेकिन उगवे पाम चूकि किराया ही नही था , इगलिए यह असहाय अवस्था म पडी थी । सुगधी ने पल ही उमको दासदिया था और उमस पहा था , बहन , तू चिता न कर । मेरा प्रादमी पून स प्रानवाला है । मैं उसमे युछ रुपय लेकर तरे जान पा वयोवस्त पर दूगी ।

माघी पूना स मानेवाला था पर रपपो का प्रबध तो सुगधी को ही करना था । इसलिए वह उठी और जल्दी-जली कपडे वदनन “ नगी । पाच मिनट में उसन घोती उतारकर, पला वाली साी पहनी मोर गाला पर साल पाउडर लगाकर तयार हो गई । पडे स ठण्डे पानी का एप और डागा उसने पिया मोर रामलाल के साथ हो ली । ____ गली जो कि छोटे गहरा ये बाजार में भी कुछ वही थी बिलकुल खामोश थी । गैम के व लम्प जो खम्भा पर जडे ये पल पी वनिम्बत बहुत घुघली रोगनी दे रह थे । लडाई के कारण उनके गीगा को गदला कर दिया गया था । उस प्रधी रोशनी म गली के पाखिरी सिरे पर एक मोटर नजर पा रही थी ।

कमजोर रोगनी म उस पाते रग की मोटर पा माया नजर प्राया और रात के पिछले पहर पाभेद भरा स नाटा मुगधी को एसा लगा कि उसके सिर का दद सारे माहोल पर छा गया है । एक वसलापन उसे हवा के अदर भी महसूस होता था , जैस ब्राण्डी और व्योडे की याम से वह भी बोभित हो रही हो ।

आगे बढकर रामलाल न मोटर वे मदर बैठे हुए पादमियो स कुछ कहा । इतने मे जब सुग बी मोटर के पास पहुंच गई तो रामलान एक तरफ हटकर धोना लीजिए, वह आ गई बडी अच्छी छोकरी है । थोडे

1 दिनाय महायुद्ध

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