पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२१५

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और विसी डाक्टर में पास जाऊ कि पिसीन दरवाजा खटसटाया। मैंन सोचा कि होट7 या छोररा, जिस बम्बई मी भाषा में 'बाहिर बाना यहत है होगा । बडे मरियल स्वर म यहा, 'पा जाना। दरवाजा पुला और एक छरहर न २ व्यक्ति न, जिमकी मूर्छ मुझे मयम पहो दिसाई दी भीतर प्रवा दिया । उसकी मूठे ही मय कुछ थी । मरा मतलब यह है कि यदि उनकी मूछे न होती तो बहुत सम्भव है कि यह मुछ भी न हाना । एमा मालूम होता था कि उसकी मूछा न ही उमये पूर अस्तित्व को जीवन प्रदान कर रपा है। वह भीतर पाया और अपनी विलियम बैमर एसी मूडा का एक उगली से ठीक करत हुए मरी साटा पाम गाया। उसके पीछे तीन चार व्यक्ति थे। विचित्र मुपातिया थी उनकी-मैं बहुत हैरान पाकि य पोन है और मेरे पास क्या प्राए है ? विलियम सर एमी मूछा और छरहरे बदा बाल व्यक्ति न मुभम बड़े योमल स्वर में कहा 'चिम्टो साहब प्रापन हद कर दी, साला मुझे इत्तला क्या नदी? मटो का विम्टो वन जाना मरे लिए कोई नई बात नहीं थी। इसके अतिरिक्त मैं इस मूड में भी नहीं था कि म उसका सुधार करता। मैंन अपने क्षीण स्वर म उमरी मूछा स केवल इतना कहा--आप कौर उसने सक्षिप्त सा उत्तर दिया-ममद भाई।' मैं उठकर वठ गया। ममद भाई तो तो आप ममद भाइ हैं -मशहर दादा मैंन यह तो कह दिया लेकिन तुरन मुझे अपने बडेपन का अनुभव हुमा और मैं स्व गया । ममद भाई ने छाटी उगली स अपनी मूछा के सरत बाल जरा ऊपर दिए और मुस्कराया-- हा विम्टो भाई-म ममद हू-यहा का मशहर गदा-मुझे वाहिर वाले से मालूम हुआ कि तुम बीमार हो-साला यह भी कोई बात है कि तुमने मुझे खबर न की। 'ममद भाई का मस्तक फिर जाता है जब कोइ एमी बात होती है।' 212/ टोबा टेकसिंह