तरह जानती है। साली अपनी चीज है, मुझे कस नुक्सान पहुंचाएगी।' छुरी स जा सम्बच उसन स्थापित किया था, वह कुछ एमा ही था जम कोई मा या वाप कह वि यह मेरा बेटा है या वटी है, इसका मुझपर से हाथ उठ सकता है ? डाक्टर पा गया- उसका नाम पिंटो था और मैं विम्टा । उसन ममद भाइ को अपन क्रिश्चियन ढग म सलाम किया और पूछा कि मामला क्या है। जो मामला था वह ममद भाई ने बता दिया-सक्षिप्त, लेकिन कडे शब्दो म, जिनमें पाना थी कि देखा, अगर तुमने विम्टो भाई का इलाज अच्छी तरह न किया तो तुम्हारी खर नही। डाक्टर पिंटो ने प्रानाकारी बच्च की तरह अपना काम किया। मरी नब्ज देखी। स्टेथेस्कोप लगाकर मेरी छाती और पीठ का निरीक्षण किया। लड प्रेशर देखा । मुझमे मेरी बीमारी का विवरण पूछा । उसने बाद उसने मुझसे नही, ममद भाई मे कहा 'कोई फिक की बात नही-मले रिया है-मैं इजेक्शन लगा देता है।' ममद भाई मुझमे कुछ दूर खडा था। उसने डाक्टर की बात मुनी और खजर से अपनी क्लाई के बाल उडात हुए कहा 'मैं कुछ नहीं जानता-इजेक्शन देना है तो ददो, लेकिन अगर इस कुछ हा गया तो डाक्टर पिंटो काप उठा, 'नही ममद भाई सव ठीक हो जाएगा।' ममद भाईन खजर अपने नेफे मे उडस लिया। तो ठीक है। तो मैं इजेक्शन लगाता हूँ,' डाक्टर ने अपना वैग खोला और सिरिंज निकाली। ठहो टहरो।' ममद भाई धवरा गया था। डाक्टर ने तुरत सिरिंज वग में वापस रख ली और मिमयाते हुए ममद भाई से बोला, 7 " 'बस—मैं किसीके सुई लगत नहीं देख सकता,' यह कहकर वह खोली से बाहर चला गया। उसके साथ ही उसके साथी भी चले गए। डाक्टर पिंटो ने मुझे कुनीन का इजेक्शन लगाया, बडी सावधानी स अयथा मलेरिया का यह इजेक्शन बडा मप्टदायक होता है। जब 214/टोबा टेकसिंह , क्या
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