पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/८५

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कसम तुम अपनी मूछा और दादी का मही इस्तेमाा नही बरते। इन चाल ऐस अच्च कि मरा नवी ब्ल्यू सट अच्छी तरह माफ बर सात है-वस, थोडा-मा पट्टाल लगाने की जरूरत होगी।' पितोधन कोष को उसीमा तक पहुंच चुका था, जहा वह बिल्कुल टण्डा हो गया था। वह आराम से सोफे पर बैठ गया। मोजेल भी ग्रा गई और उमन शिलोचन की दाढी छोरनी शुरू कर दी। उसम जो पियें नगी थी वे उमन एक एक करके अपने दाता मदराली। विलोचन सुदर था। जब उसके दाढी मूछ नही जगी थी तो लोग उम सुले केगा म दखकर धासा सा जात थे कि वह कोई कम उम्र भी सुदर लडकी है। मगर अब बाला के इस दर न उसके नैन नक्श साडिया वी तरह अर छिपा लिए थ और इस बात को वर स्वय भी जानता था। रोकिन वह धार्मिक प्रवृत्ति का एक सुशील युवक था। उसके दिल म धम दे प्रति सम्मान था। वह नहीं चाहता था कि वह उन चीजा का अपन अस्तित्व स अलग कर दे जिनम उस धम की पचान होती थी। जव दाढी पूरी खुल गई और उमरे मीन पर लटकन लगी तो उसन मोजेल में पूछा 'यह तुम क्या कर रही हो? दाता म पिने दवाए वह मुस्कराई, तुम्हार बाल बहुत मुलायम हैं। मेरा अनुमान गलत था कि इनस मेरा नवी ब्ल्यू स्वट साफ हो सकेगा। विमोचन ' तुम ये मुझ द दो मैं इह गूयकर अपने लिए एक फस्ट क्लास बटुमा वनवाऊ गी। अव त्रिलापा की दाढी म फिर चिनगारिया भडमने लगी। वह बड़े गम्भीर स्वर म मोजेन स बोला, मैंन आज तक कभी तुम्हार मजहब का मजाक नही उडाया, तुम क्या उडाती हो। दसो, किसीवी धार्मिक भावना से सेलना अच्छा नहीं होता । म यह कभी बर्दाश्त न करता सिफ इसलिए करता रहा कि मुझ तुमस अथाह प्रेम है। क्या तुम्ह इसका पता नही" मोजेल ने त्रिलोचन की दादी म खेलना याद कर दिया और बोली, मुझे मालम है। फिर? विसोवन ने अपनी दादी के बाल बडी सफाई से तह किए 86/टोवा टेकरिह