पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/८६

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और मोजल के दातो स पिर्ने निकाल ली। तुम अच्छी तरह जानती हो कि मेरा प्रेम बस्वास नही-मैं तुमस शादी करना चाहता हूँ ।' 'मुझे मालूम है ।' बाला को एक हल्का सा भटमा देकर वह ठी और दीवार में लटकी हुई तस्वीर की तरफ दखन लगी। मैं भी लगभग यही फैसला कर चुकी हू वि तुमस शादी करगी।' निलोचन उछल पड़ा, सच ?' मोजेल उनाबी होठ वडी मोटी मुस्कराहट के साथ खुने और उसके सफेद मजबूत दात एक क्षण के लिए चमके। हा।' विलोचन र अपनी प्राधी तिपटी दाढी ही से उसको अपने मोने के साथ भीच लिया। तो तो, कर" मोजेल अलग हट गई। जर तुम अपने ये बाल बटवा दोगे। शिलोचन उम समय जो हो मो हो वन गया । उमन कुछ न माचा और कह दिया, 'मैं कल ही कटवा दूगा।' मोजेन फ्श पर टैप डास रिन लगी । 'तुम वनवास करत हा त्रिलोचन | तुमम इतनी हिम्मत नहीं है।' उसन त्रिलोचन के दिमाग से मजहब के रह-सह खयाल को बाहर निकाल फेंका। 'तुम देख लोगी।' 'देस लूगी।' और वह तेजी स मागे वढी । त्रिलोचन की मूछा को चूमा और 'पू फू ररती बाहर निकल गई। विलोचन रात भर क्या सोचा और वह किन किन यातनामा स गुजरा इसकी चर्चा व्यथ है इसलिए दूसरे दिन उसन पाट म प्रपन का कटवा दिए और दाढी भी मुडवा दी । यह सब कुछ होता रहा और वह धाखें भीचे रहा । जब सारा मामला साफ हो गया तो उसकी आखें खुली और वह देर तक अपनी शक्त शीशे मे दखता रहा, जिसपर बम्बई की सुतर स सुदर लडकी भी कुछ दर के लिए ध्यान देन पर मजबूर हो जाली। इम ममय भी मिलोचन वही एक विचित्र ठण्डक मससूस करने लगा, जो संलून स बाहर निक्लार उससे लगी थी। उसन टैरेस पर तेज-तज चलना गुरु कर दिया, जहा टनिया मौर नला की भरमार थी। मोजेल / 87