कौर एक पवित्र लडवी थी, जिमम उससे प्रेम हो गया था , और जो खतरे में थी । वह ऐसे मुदल्ने मे थी , जिसमे क्टर किस्म के मुसलमान रहते थे और वहा दो - तीन वारदातें भी हो चुकी थी लेकिन मुमीबत यह थी कि उस मुद्रो म अडनालीस घण्ट का पर्थ था । मगर पर्ष की कौन परवाह करता है उस चाल के मुसलमान ही अगर चाहत तो अदर ही अदर पाल कौर और उसकी मा तथा उसके बाप का बडो आमानी से सफाया कर सकते थे ।
मिलोचन सोचता-साचता पानी के भोट नल पर बठ गया । उसके सिर के बाल अव वाफी लम्बे हो गए थे । उसका विश्वास था कि वे एक वप के अदर अदर पूरे गाम बदल जायेंगे । उसकी दाग तेजी से बढ़ रही थी , किन्तु वह उस चढाना नहीं चाहता था । फोट में एक बारबर था , यह इस सपाई से उसे तराशता था पितरागी हुई दिखाई नहीं देती थी ।
उसने अपन नरम और मुलायम बानामगनिया फेरी पार एक ठण्डी सास ली । उठने का इरादा पर ही रहा था कि उसे सडाऊनी बना प्रावाज सुनाई दी । उसन सोचा, कौन हो सकता है ? बिल्डिंग मे चई यहूदी औरतें थी जो सबकी सब घर मे खडा पहनती थी । मावाज
और करीब आती गई । एवाय उसन दूसरी टकी के पास माजेन का देसा, जो यहदिया के विशेष ढग का ढीला ढाला पुष्पहन बडे जोर की भगडाई ल रही थी --- इस जोर की कि त्रिलोचन को महसूम हुआ कि उसपे पासपास की हवा चटप जाएगी ।
गिलोचन पानी येनन पर मे उठा । उसने सोचा यह एकाएक पहा से टपक पड़ी --- और इम समय दरम पर क्या करने आई है ? मोजेल ने एक और प्रगडाईली - ~-अब त्रिलोचन की हडिडया चटखने लगी ।
ढील ढील कुर्ते म उसको मजबूत छातिया घडवी - ~-प्रिलोचन की प्रामा पे सामन कई गोल गोल और चपटे चपट नीर उभर पाए । वह जोर से साता । मोजेल ने पलटकर उसकी ओर देखा । युछविशेष प्रतित्रिपा नहीं हुई । यह सडाऊ घसीटती उसके पास प्राई और उमको नही मुनी दादी देखन लगी तुम फिर सिख बन गए त्रिलोचन ? "
मोजेन / 1