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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/९१

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लाढी के बाल त्रिलोचन को चुभन लगे। मोजेल ने आगे वरकर उसकी ठोढी के साथ अपने हाथ की पुश्त रगडी और मुस्कराकर कहा, 'अब यह वश इम योग्य है कि मरी नेवी ब्ल्यू स्कट माफ कर सके । मगर वह तो वहीं देवलाली में रह गई है। त्रिलोचन चुप रहा। मोजेल ने उसी वाह की चुटकी ली । 'बोलत क्या नही सरदार साहब निलोचन अपनी पुरानी मूखतानो को दोहराना नही चाहता था, फिर भी उमन सुबह के धुधल अधरे मे दखा कि मोजेल म कोई खास परि- वतन नहीं हुआ था, सिफ वह कुछ कमजोर नजर पाती थी। बिलाचन न उससे पूछा 'बीमार रही हो ? 'नहीं। मोजेल न अपन क्ट हुए बालो को एक हल्ला सा झटका 7 दिया। पहने से कमजोर दिग्बाइ दती हो। 'मैं डाइटिंग कर रही हू ।' माजेल पानी के मोट नल पर बठ गई और सडाऊ पा के साथ वजान लगा । 'तुम, मतलब यह कि अव फिर नये मिर मे मिस बन रह हो?" प्रिलोचन न एक प्रकार की ढिठाई स कहा, 'हा।' मुबारक हो।' माजेल न एक सडाऊ पर से उतार ली और पानी के नल पर वजान लगी। 'क्सिी और लडकी से प्रेम वरना गुम कर दिया त्रिलोचन ने धीमे से कहा, हा।' 'मुबारक हो-इसी बिल्डिंग की है वोइ?' 'नहीं।' यह बहुत बुरी बात है।' मोजेल सडाऊ अपनी उगलिया म उडसकर उटी । 'प्रादमी को हमणा अपने पडोमिया का सयाल रखना चाहिए। प्रिलोचन चुप रहा । मोजेन न उसकी दाढी यो अपनी पाचा उगलिया मे वेग। क्या उमी लडकी न तुम्हें य वाल वटान की राय दी है ?' 'नहीं।' 92/टाया टपमिद