पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/९४

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मोजेल न कहा यह तुम्हारी दाढी लेकिन खैर, ठीक है । इतनी बदो नही है - नगे सिर चलोगे तो कोई नही समझेगा कि तुम सिख हो ।

नग सिर ? त्रिलोचन ने कुछ बौखलाकर कहा में नग मिर नहीं जाऊगा ।

मौजेल ने वडी भोली सूरत बनाकर पूछा, क्या ? "

त्रिलोचन न अपने बालो की एक लट ठीक की और बोला , तुम समझती नहीं हो । मेरा वहा पगडी के बिना जाना ठीक नहीं ।

क्या ठीक नही "

तुम समझनी क्या नहीं हो कि उसने अभी तक मुझे नगे सिर नहीं देखा - वह यही ममझती है कि मेर केश है । मैं उसे यह भेद नही जानने दना चाहता ।

माजेल न जोर स अपनी खडाऊ दरवाजे को दहतीज पर मारी , तुम सचमुच अव्वल दर्जे के ईडियट हो गधे कही के । उसको जिदगी का सवाल है - क्या नाम है तुम्हारी उस कौर का , जिमसे तुम प्रेम करते हो ?

विनाचन न उसे समझान की कोशिश की , मोजेल, वह वडी धार्मिक प्रवत्ति की लटकी है - अगर उसने मुझे नगे सिर देख लिया तो मुझसे नफरत करन लगेगी ।

मागेल चि गई । प्रोह तुम्हारा प्रेम बी डेम्ड -~-मैं पूछती हू, क्या सार सिख तुम्हारी तरह के वेवकूफ होत हैं ? -- उसकी जान खतरे में है

और तुम कहत हो कि पगटी जरूर पहनोगे और शायद अपना अण्डर वीयर भी जा निकर स मिलता जुलता है ।

बिलावन न पहा , वह तो मैं हर वक्त पहन रहता है ।

बहुत अच्छा करत हो लेकिन अब तुम यह सोचो कि मामला उम मुहल्ल का है जहा मिया भाई ही मिया भाई रहते हैं और वह भी बडे वडे दादा ! तुम पगडीप र गए ता वही कत्ल कर दिए जानोगे ।

प्रिलोचन न सक्षिप्न सा उत्तर दिया , मुझे उसकी परवाह नहीं । अगर मैं तुम्हारे साथ वहा जाऊगा तो पगडी पह्नवर जाऊगा । मैं अपन प्रेम को खतरे म डालना नहीं चाहता ।

मोजेल / 95