पृष्ठ:ठाकुर-ठसक.djvu/८१

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अंधेर। अलाहदी भिन्न, अलग उमाह-उत्साह, उमंग। अवगाहना-थाह लेना। उरमी-फंसी। अवहेलि=न मान कर। उराहनो-उलाहना। प्रवाई आगमन । उलंक-बड़प्पन । असीलजादे कुलीन। उलमा-धक्के। अहानो-(आख्यान) कथा। उलहे निकले हैं। आगरे-बढ़े। उलाइत-जल्दी, शीघ्रता। आगरी- बदकर । उलीचना फेंकना, उलचना । आँगुरी उठानान्बदनाम करना। ऊपरी और, अन्य । भाँचर अंचल। ऊबा-चबड़ा गया। प्रांजुरी (अंजलि) हाथ। ऊमरम्गूलर। आँधरे-अंधे। ऊलट उलटी बात, ईछन इसी समय । ऊसई-वैसे ही, ज्यों के त्यो। उकताना जल्दबाजी करना। पड़े बेड़े-टेदे मेदे, घमंड भरे। उकराइन हैरान, परेशान। पंड-धमंड। ॐचं उठाय-ऊंचा करके। एक से एक-एक से बढ़कर एक । उजागर मशहूर, प्रसिद्ध, प्रगट । ओखरी ओखली, कांड़ी। उमाकै उछलते हैं, चंचल होते हैं। श्रोषद-दवा । (सं० ओषधि) उदोनी-ओढ़नी। ओर पारियो अंत तक निर्वाह उनई घिरी है। करना। उपचार उपाय। ओर अंत । उपटहै-उमड़ आवेगा। औधि अवधि। उपुरान उपपुराण। और-दूसरा ही। (धेनु) उबेरना-बस्से बन की कछुवै-कुछ भी । ओर लेजाना। कजरारे काजल लगाये। उमंडना उमदना। कजलियां-जौ के नवीन, पौध जो