पृष्ठ:ठाकुर-ठसक.djvu/८२

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लड़कियाँ छोटे छोटे पात्रों में | कसक पीड़ा । पोती हैं और रक्षाबंधन के दिन कस के ज़ोर से । अपने भाइयों को देती हैं। कसकौहेन्द्रवित होनेवाले। कजाक-लुटेरे। कसाले कठिनाई, कष्ट । कजात-कदाचित, कभी। कहनावति-कहावत, लोकोकि। कँटिआइबे को अंकुरित होने को। कहर-क्रोध । कटा-घातकता। कहरैक, शोर । कटियाना अंकुर निकलना। काड-पहनावा। कदिवाई खुल गई। काछिये-पहनिये। कढ़ो-निकलो। कातना-सूत निकालना। कथैकहै। का पर-किससे। कदीम-पुराने । कारखाना कार्य प्रवाह। कमंघ-कबंध। कितेकउ कितनी ही। कर्मध पारना-कतल करवा देना। किलकारे बच्चों की आनंदसूचक कमनैत-धनुष चलानेवाली। किलकार। कमान-कमाने के लिए। किलो चालकों की आनंदसूचक करमाकर्माबाई । जिसके नाम शब्दोच्चार की आवाजें। पर खिचड़ी का क्षेत्र आज भी किवारे-किवाद । जगनाथजी में चलता है। किसलै-नये पत्ते। कर चिहाथ से खींच कर। कीबो करना, (बनाना)। करा प्रतिज्ञा, कौल, करार। कुरर्य-उड़ेल दी, एका कर दी। करैयां कहा-क्या करनेवाली है! कुरस-वैमनस्य । करैया-करनेवाला । कुरीम-नाराजी। का उपरी मुलम्मा। कुलकानि कुल मर्यादा । सकी कसकवंत-दिलदार, भावुक, दयाल कसकी द्रवित हुई। धना-प, का। चाला