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पृष्ठ:ठाकुर-ठसक.djvu/८४

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लग जाय। गोहन-साथ । घसकौ जिनके देखने का सका घरहाइनै घर फोड़नेवाली। घरी धरना-समय निश्चित कर चहुँघां-चारो ओर । देना। चहूँकन बदनामी की पर्चा, घाउ-विश्वासघात । अफवाहा धाबड़ो है जात-धवड़ा जाता है। चाकर-नौकर । घालना-मारना। चादर-चहर, पिछौरी। घिनोंची-जलपात्र रखने का स्थान। चाह-शौक, उमंग, चाव । धींच-गर्दन् । चाह-प्रेम। धूघट घालना=परदा करना। चाहने है उचित है। धैरम्बदनामी की चर्चा । चाहि-देखकर । घोर-गरज । चिताऊँ सावधान करूँ। घोरि उठना-गरजना। चितोत चितोत-देखते देखते । घोरें आवाजें। चीतिजात-सावधान हो जा। चकवानो-चकित । चुपरना-लगाना, पोतना। चकोसो भौचका सा। चूकनचूक भूल। चकराम्बरा । भोजन का एक पक-चूरा-कड़ा। वान जो उर्द की पीठीसे गोला-चेटकी-चेटककर्ता, जादूगर कार बनता है। चक्रवत् होने चै-चय, समूह । से बुदेलखंड में कोई कोई उसे चैतुवामीत-स्वार्थी मित्र । 'चक्रा' भी कहते हैं। चोज-सुन्दर भाव । घटक-अधिकता। चोवा-एक सुगंध द्रव्य। चटसार-पाठशाला। चौचंद बदनामी की चर्चा । चॅदोवा-तम्बू । यौचैदहाई-बदनाम करने वाली । चवाउ-चुगुली। चौंध-तेज़, चमक! चवाइन-चुगुलखोरिने। चौधियाने-चकबकाये।