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पृष्ठ:ठाकुर-ठसक.djvu/८५

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चौवर-चौलरी होकर, एक की जगह जफा-जुल्म, भत्याचार । चार रेखायें होंगी। जबुरस्अत्याचार। चोरी-चौड़ी। जमा असली माल कामोल चौहट-(चतुर + हाट) चौक जमानो-समय । (नगरों की) जवाहिरचन। छको है हैरान हुआ है। जसुधा के यशोदाके पुत्र । छननात=छिटकती है, फैलती है। जागा=(जगह) स्थान । छविता-सुन्दरता) जादे-ज्यादा, बहुत अधिक। छला-छल्ला जानु-घुटनो। छाले-फफोले। जाम-(सं० याम) पहर । छाहरे छाया में। जिमाना भोजन कराना। छिकुला-छिलका। जियतु है-जीते हैं। छिगुनी-पैर की छोटी अंगुली | जुरी इकट्ठी हुई। (कनिष्टका) में पहनने का जेवर। जूह-(यूथ), समूह । छिपिया दरजी। जो-जो भी, यदि। छियराछोर, ट। जोवना देखना। छीजनाम्नष्ट होना, क्षीण होना अँगुली-कुर्ता, अंगा (पर्चाका) छीबो-छूना। भैहली गुरेरदार। छी जाना-छु जाना। भटकना-झटका देना। बैठे हहै- हो, गनती में छ । भननाना-मान शन करना। छोकल-छिल्का। भमकना-शुकजाना,भाकर घेर लेना छोर लौं अन्त तक। भला-देवगरा, एक बार की वर्षा । छोहत सी छोह सा करती हुई झोपना-चकना। जक-यक्ष (यक्ष लोग। झार-कपट चकित स्वभाव वाले होते मिलती हौशेलती है, गवर अतैवत नाहीत्रवाते नहीं। रस्ती देती है।