पृष्ठ:तिलस्माती मुँदरी.djvu/१०

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तिलिस्माती मुँदरी


दे दिया जायगा-रानी इस वक्त उसके लिये एक ज़हर की रोटी बना रही है। प्यारी बेटी!चलो यहां से अभी भाग चले" राजा की लड़की इस बात को सुनते ही बड़ी दहशत के साथ वहां से उठ कर दरवाज़े की तरफ दौड़ी, पर किवाड़ों में ताला लगा, था। खिड़की को देखा तो वह इतने ऊंचे पर थी कि लड़की का उसकी राह से निकलना नहीं हो सकता था। सिवा इसके खिड़की के सामने ही एक संतरी पहरा दे रहा था, लेकिन जब कि वह सब सोच विचार कर रहे थे कि क्या किया जाय, दरवाज़ा खुल गया और रानी रिकाबी में एक उमदा सी रोटी लिये हुए आ पहुंची। इस लिये कि रानी उनको न देख सके कौए उसके अन्दर आते ही खिड़की की राह से उड़ गये। रानी लड़की से बोली-“ऐ प्यारी, मैं तेरे खाने के लिए यह रोटी अपने हाथ से बना के लाई हूं" और इतना कह रोटी उसके आगे रख, दरवाजे का ताला बंद करके चली गई। रानी के चले जाने के बाद तोते ने झट कौओं को बुलाया और कहा कि "इस रोटी को दीवार के बाहर झील में गिरा दो"; कौओं ने वैसा ही किया। राजा की लड़की उस रोज़ दिन भर और रात भर उसी कमरे में बंद रही और उसके लिये खाना भी और कुछ न आया; लेकिन कौए उसके वास्ते कई तरह के फल और बहुत सी मेवा महल के बाग़ीचे से ले आये और लड़की और सब चिड़ियों ने मिल कर खूब अच्छी तरह ब्यालू की। सुबह होते ही रानी यह देखने को आई कि लड़की मर गई या नहीं और जब उसे जीता पाया निहायत गुस्से में आ उसके बाल खींच कर उसे मारने लगी और दोनों हाथों से गर्दन दबा कर गला घोटने का इरादा किया। इस हरकत को देख कर तोते ने क्या किया कि खिड़की की राह उड़कर सीधा उस जगह पहुंचा जहां पर