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तिलिस्माती मुँदरी


सखदिल रानी के पास रहने में हमारे राजा की प्यारी लड़की का किसी तरह बचाव नहीं"।

इसके बाद यह तै हुआ कि दोनों कौए तो महल के बाग़ में बसेरा करें और हमेशा ऐसी जगह रहे कि काम पड़ने पर झट बुला लिये जा सके और तोते ने महलों के भीतर ख़बरदारी रखने का काम लिया और यह मालूम करने की कोशिश में रहा कि रानी लड़की को तकलीफ़ पहुंचाने की कोई तदबीर तो नहीं करती।


अध्याय २

इसके थोड़े ही दिनों बाद राजा शिकार खेलने को पहाड़ों में चला गया और उसके जाने के दूसरे ही दिन कौओं ने तोते को ख़बर दी कि उन्होंने रानी के ख़ास गुलाम बब्बू को बाग़ में कुछ जड़ी बूटी उखाड़ कर इकट्ठा करते देखा था जिनमें कई ज़हरीली बूटियां थीं। यह ख़बर सुनते ही तोता खिड़की की राह बाहर आ, बब्बू के करतब को देख, सीधा रानी के कमरे में चला गया और वहाँ छिप कर देखने लगा कि रानी क्या करती है। थोड़ी देर बाद वह देखता है कि बब्बू उन ज़हरदार पत्तियों को लाकर रानी के हाथ में दे देता है और रानी उनको काट कर एक देग़ची में रख अंगीठी पर उबालने को चढ़ा देती है; बाद इसके उसने देखा कि रानी ने एक बरतन में से थोड़ा सा आटा और कुछ मिठाई निकाल उबली हुई पत्तियों के अर्क में गूंध कर एक रोटी पोई और उसे आग पर सेक डाला। तोता यह देख कर वहां से चुपके से उड़ फ़ौरन राजा की लड़की के कमरे में पहुंचा जहां उसने दोनों कौओ को भी पाया और उनसे कहने लगा-“ऐ कौओ, अब देर करने का वक्त नहीं है, अगर राजा की लड़की अब यहां रहेगी तो उसे ज़रूर ज़हर