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तिलिस्माती मुँदरी


राजा की लड़की के पास ले गया। लड़की एक कोने में बैठी हुई रो रही थी। तोते ने इशारे से ज़ाहिर किया कि वह एक दाना अनार का खा ले। राजा की लड़की का जी उसके खाने को न चाहा क्योंकि अनार का रंग ठीक मैंडक के चमड़े का सा था और देखने में बिलकुल अच्छा न था। लेकिन तोते ने इतने इशारे और इतनी खुशामद की कि अख़ीर को लड़की ने एक दाना निगल लिया। बाद इस के अनार को तोते ने लड़की के बिस्तर के तले छिपा दिया। लेकिन वह उसे मुशकिल से छिपाने पाया था कि दरवाज़े की कुन्दी खुलने की आवाज़ आने से उसे अपने तई भी छिपाना पड़ा। और बब्बू गुलाम एक रोटी और एक लोटे में पानी लिये हुए अन्दर आ पहुंचा। वह इन चीज़ों को लड़की के आगे रख कर चला गया। उसके जाते ही तोता चरपाई के नीचे से झट निकल आया। राजा की लड़की को इस वक्त बहुत ही भूख और पियास लग रही थी, पर वह खाने और पीने से डरती थी, हालां कि तोता यह जान कर कि अनार का दाना खाने के सबब से ज़हर कुछ असर नहीं कर सकेगा, इशारों से बहुत कुछ ज़ाहिर कर रहा था कि वह उस रोटी को शौक़ से खाले लेकिन जिस वक्त कि वह यह इशारे कर रहा था, यानी कभी रोटी में चोंच मारता था, कभी पानी आप चोंच से पीता था, कभी ज़ोर से चीख़ता था, और इसी किस्म के बीसों दूसरे इशारे कर रहा था, दोनों कौए जादू की अंगूठी चोंच में लिये हुए आ पहुंचे।

राजा की लड़की ने जो अंगूठी को छूआ, चिड़ियों की बोली फिर समझने लगी। उन्होंने अंगूठी फिर हाथ लगने का हाल बयान किया, कहा कि जिस वक्त बब्बू को उन्होंने रोटी लेकर कमरे के अन्दर आते देखा था खिड़की की राह