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तिलिस्माती मुँदरी


वहां पर आन पहुंचा और दर्याफ करने लगा कि इस सब" झगड़े का क्या बाइस है। किसी ने कुछ कहा, किसी ने कुछ। उस बोबी ने कहा कि यह लड़की मैंने मोल ले ली है और कंजरी ने कहा-"नहीं, मैंने इसे नहीं बेचा," लोग जो वहां जमा थे कहते थे कि अफ़सोस है अगर इस बदज़ात हत्यारी ने लड़की को खरीद लिया है। कोतवाल ने सब को अपने सामने बुलवाया और उस बीबी से कहा-"अगर तुमने इस लड़कों को खरीद लिया है तो रुपयों की रसीद दिखलाओ"-वह बोली कि "रसीद मेरे हाथ से एक तोता छीन ले गया है और न जाने वह कहां उड़ गया है। कोतवाल ने कहा- मैं इस बात का यकीन नहीं कर सकता, और अगर तुम रसीद नहीं दिखला सकोगी तो मैं लड़की को कंजरी ही के हवाले कर दूंगा"। बीबी ने फिर वही कहा जो पहले कहा था, मगर सब बेफ़ायदा हुआ। जिन लोगों ने तोते को नहीं देखा था उन्होंने कुछ न कहा। बस लड़की कंजरी को मिल गई और वह बीबी बुरा मुंह बनाये अपने घर गई। उस वक्त उसका चिहरा और भी बुरा हो गया था क्योंकि लौंडी उसके हाथ से निकल गई और रुपया भी गया।

कोतवाल ने झगड़े का फ़ैसला ऐन अपने मकान के नीचे गली में किया था। जैसे ही कि लड़की कंजरी को दी गई कोतवाल के घर से एक काली लौंडी ने आकर कंजरी से कहा कि कोतवाल की बीबी साहिबा उससे कुछ कहना चाहती हैं। कंजरी लड़की को लिये हुए लौंडी के साथ भीतर गई और कोतवाल की बीबी के सामने पेश हुई। बीबी छज्जे पर अपनी लड़की के साथ जो उमर में राजा की लड़की के बराबर थी बैठी हुई थी। उसकी लड़की ने राजा की लड़की को देख लिया था और उसकी सूरत पर लुभा कर अपनी मां