पृष्ठ:तिलस्माती मुँदरी.djvu/८

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तिलिस्माती मुँदरी


बमूजिब अंगूठी लड़की को दे देंगे और उसके पास रह कर मक़दूर भर उसकी मदद करेंगे और हो सका तो आप के पास उसे ले भी आवेगे," वहां से उड़ दिये और पहाड़ और बन और पटपरों को तै करते हुएं थोड़े ही दिनों में कश्मीर के राजा के महलों में दाखिल हुए-और सीधे उसी जगह पर पहुंचे जहां राजा की बेटी बैठी हुई अपने तोते को चुगा रही थी और मुंँदरी को लड़की के आगे रख दिया। लड़की उसे छूते ही चिड़ियों की बोली समझने लगी।

कौओ ने उसे उसके नाना मे जो कहला भेजा था सब सुना दिया और तोते ने जिस तरह उसका राज छिन गया था सब बयान किया। राजा की लड़की सुन कर बहुत रोई और बोली-“ऐ परिन्दो, मुझे जैसे बने मेरे नाना के पास ले चलो, क्योंकि रानी मुझ पर इतना कड़ापन रखती है कि बाप के साथ सिवा अपने सामने के मुझे बात तक नहीं करने देती, इस से मैं उसकी बातें बाप से नहीं कह सकती-अलावा इस के वह हर एक को मेरे ख़िलाफ़ बनाये रहती है और सिवा इस प्यारे तोते के कोई मुझे नहीं चाहता और न मेरी ख़बर लेता है।

इस पर तोता अपनी बैठक से झुक, चेांच से लड़की के हाथ को चूम, कहने लगा-"मेरी प्यारी बच्ची, तू पूरा यक़ीन रख कि जो कुछ मैं तेरे लिये कर सकूंगा उससे कभी बाहर न हूंगा, क्योंकि मैं तुझे अपने बच्चे के बराबर मानता हूं-मैंने तेरा और तेरी मां दोनों का पैदा होना अपनी आंखों से देखा है। रही तेरे नाना के पास तेरे जाने की बात, मेरी समझ में यह काम मुशकिल और ख़तरे का है, पर साथ ही यह भी अंदेशा है कि राजा के शिकार को चले जाने के बाद, इस