पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

तुलसी की जीवन-यात्रा १८३ लोगों की यह धारणा है कि यहाँ 'हुलसी' शब्द.श्लेपार्थ में प्रयुक्त हुआ है । हुलसी तुलसीदास को माता थीं और हुलसी का अर्थ प्रसन्न होकर भी है। तुलसीदास ने रामचरित मानस के कई स्थलों में इस शब्द का प्रयोग प्रसन्न होने ही के अर्थ में किया है। जैसे- संभु प्रसाद सुमति हिय हुलसी । रामचरित मानस कवि तुलसी । यहाँ 'हुलसी' पाब्द 'उत्साहित हुई' के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। पर मानस में एक स्थान पर यह शब्द कुछ भ्रम भी उत्पन्न करता है- रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी । तुलसिदास हित हिय हुलसी सी । इसी 'हुलसी' को लेकर 'माता' की कल्पना की जा रही है। पर जिस माता ने तुलसीदास को जन्मते ही छोड़ दिया, उसका कौन सा सुख स्मरण करके वे इतनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे हैं, यह विचारणीय है.। और चौपाई के पहले चरण से तो यह 'भाव, टपकता है कि राम-कथा राम को पवित्र तुलसी की तरह प्रिय है । तुलसी जलन्धर दैत्य की स्त्री थी, जिसका पातिव्रत- धर्म विष्णु ने नष्ट किया था। उसके समकक्ष हुलसी को तुलसीदास की माता क्यों माना जाय ? उनकी स्त्री क्यों न माना जाय! स्त्री ने तो तुलसीदास को उपदेश भी दिया था, पर माता ने जन्म देने के सिवा और क्या.फिया था? यह सब अर्थ की खींचतान है। यह निश्चित रूप से वहीं कहा जा सकता है कि उनकी माता का नाम हुलसी था, या क्या था ? सोरों में प्रसिद्ध है कि तुलसीदास की स्त्री का नाम रत्नावली और ससुर का, दीनबंधु पाठक था। रत्नावली से सुलसीदास: को एक पुत्र भी उत्पन्न हुआ था, जिसका नाम तारक था। पर यह बचपन ही