पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/१९

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२. तुलसी की जीवन-भूमि चरित्र'-और अतएव कदाचित् वह 'गोसाई-चरित्र' भी कवि के प्रामा- णिक जीवनवृत्ति के पुनर्निर्माण में हमारा कहाँतक सहायक हो सकता है यह प्रकट है। फिर भी हताश होने का कोई कारण नहीं। कारण आप ही का तो कहना है इसी के आगे इतना और भी- १२---किंतु यह बात विस्मृत नहीं की जा सकती कि इसमें उल्लिखित वे समस्त व्यक्ति जिनके विषय में हमें कुछ भी ज्ञात है, तुलसीदास जी के समकालीन ठहरते हैं। केवल एक उल्लेख ऐसा है जो इस विषय में अपवाद प्रतीत होता है, वह है गंग के विपय का । 'गंग कवीश्वर प्रसंग में इसमें कहा गया है कि कवि के जीवन-काल में ही गंग की एक रचना से रुष्ट होकर बादशाह ने उसे मरवा ढाला। किंतु गंग को औरंगजेब ने हाथी से कुचलाया था। और उसका शासन-काल सं० १७१२ से प्रारंभ होता है। इससे अनुमान होता है कि यह 'चरित्र' अधिकांश में अपने रचनाकाल से पूर्व की अनुश्रुतियों के आधार पर लिखा गया है। [ तुलसीदास, तृ० सं०, पृष्ठ ४४ ] यह है गोस्वामी तुलसीदास के प्रसिद्ध खोजी डा० माताप्रसाद गुप्त जी का मत उस “गोसाई-चरित्र' के विषय में जिसके आधार पर आगे हम बहुत कुछ कहना चाहते हैं। गंग-प्रसंग अतएव सबसे पहले हमें इस गंग-प्रसंग को ही लेना चाहिए और ध्यान से देखना यह चाहिए कि वस्तुतः वस्तुस्थिति के प्रकाशन में यह कहाँ तक समर्थ और कुशल है । सो संयोगवश एक दूसरे डाक्टर का अतएव अय प्रश्न यह है कि किसी राजाज्ञा द्वारा इन्हें हाथी का शिकार बनना पड़ा अथवा संयोगवश किसी मतवाले हाथी के चपेट में