पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/८८

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४-राजापुर के तुलसीदास राजापुर का तुलसीदास से कुछ ऐसा नाता जुट गया है कि लोग उसको तुलसीदास का जन्म-स्थान राजापुर का पक्ष तक मानने लग गए हैं। किंतु जहाँ तक इस जन को पता है इसका रहस्य कुछ और ही है। देखिए । राजापुर के. ही. एक रत्न श्री रामवहोरी शुक्ल जी ने कभी लिखा था- इसके अतिरिक, राजापुरमें उपाध्याय (सरयूपारीण) ब्राह्मणों का एक वंश है। उस चंश के लोग अपने को गोस्वामी जी के शिष्य श्री गणपति उपाध्याय का वंशज बताते हैं। गणपति जी के उधोदास, माधोदास और केशवदास ये तीन पुत्र थे। उन्हीं के वंशजों को, जो सानीदार कहलाते हैं, आज भी. राजापुरके यमुना के घाट की उत्तराई की मद में ६८४) (छ. सौ चौरासी रुपये) सालाना, चार किश्तों में (पहले सरकारी खजाने से मिलता था और अब, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड से) मिलते हैं। उन्हें राजापुर गाँव में ९६ ( च्यानवे ) बीघा जमीन मुआफी में मिली है जिसमें राजापुर की वस्ती और धाजार का कुछ हिस्सा भी सम्मिलित है । राजापुर से यमुना जी पर नावों द्वारा गल्ला, तिलहन आदि वाइर, विशेषकर प्रयाग और उससे पूर्ववर्ती स्थानों को जाया करता है । प्रयाग जानेवाली प्रति नाव पर आठ आना और उससे आगे जानेवाली हर एक नाव पर एक रुपये माफीदारी इन लोगों को सदा से मिलती आई है।