पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१०८

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२४३ वोश्नस्लढ़ाई रनों राज्यों नेबिचारा कि अब यदि लड़ाई अनिवाय दही |वो जितनी देर अपनी ओर से होगी उतना ही अधिक समय

व्रेटिश सरकार को तैयारी के लिए मिल्ञेगा। इसलिए श्रे, 'ऋगर नेअपने अन्तिम विचार तथा आखिरी माँग लञाडे मिलनर को लेख भेजी और उसी के साथ साथ ट्रान्सवाल और फ्रो-स्टेट को परदद पर फौज को भी ज्ञाकर खड़ा कर दिया। इसका और

कुछ परिणाम हो ही नहीं सकता था। भज्ञा त्रिदिशों के जैसा चक्रवर्ती राज्य कभी धसकियों के वश भी हुआ है? आखिरी वेतावनी की मियाद पूरी हुई ।ओर बिलत्ती की गति से बोशर

शैज आगे बढ़ी । लेडी स्मिथ, किंवरली, ओर मेक्रेक्रिंग पर भो

घेरा डाल दिया। इस प्रकार १८६६ में यह महान युद्ध शुरू हो गया । पाठक जानते दी हैँकि लड़ाई के कारणों अथांत्‌ ब्रिटिश पाँगों में--त्रोअर राज्यों में भारतीयों की स्थिति सीएक थी। अब दक्षिण अफ्रोका के भारतीयों के सामने यह एक

महत्त्वपूर्ण प्रश्न खड़ा हुआ कि उन्हें इस समय क्या करना चाहिए ? बोअर लोगों में सेतो सारा पुरुषवर्ग ज्द्ाई पर चत् दिया । वकीलों नेवकालत छोड़ दी, किसानों ने अपने खेत

छोड़ दिये, व्यापारियों नेअपने व्यापार को तिक्षांजलि देदो,

ओर नौकरों ने अपने रतीफे पेश कर दिये। अंग्रजों कीओर

से इस परिणाम मेंतो नहीं, तथापि केप कालोन्तो, नेटाल और

रोडेशिया से सुल्की-बग मेंसे बहुत बड़ी सख्या में लोग स्व॒य॑-

सेवक बने । वहुत सेअंग्रज वकील और व्यापारी सी शामित्ञ

हुए। जिस अदालत मेंमैंवकाज्व करता था हाँ अब बहुतथोड़े वकील रद्द गये थे | बड़े-बढ़े वकोत्न तो तमाम लड़ाई के काम मेंसिद्ध गये थे। भारतीयों पर जो अनेक दोषारोपण किये

जाते थे, उनमें एक यह भी था फि ये लोग तो दक्षिण अफ्रीक्षा